और इसी के लिये मैं उस की उस शक्ति के अनुसार जो मुझ में सामर्थ के साथ प्रभाव डालती है तन मन लगाकर परिश्रम भी करता हूं। (कुलुस्सियों 1:29)
मसीह यीशु में जो सबसे महिमामय वस्तुएँ हैं, उनमें से एक पवित्र आत्मा है जो हम में वास करती है। परमेश्वर की आत्मा हमारे अंदर अपार सामर्थ जमा करती है। प्रेरितों के काम 1:8 कहता है, ” परन्तु जब पवित्र आत्मा तुम पर आएगा तब तुम सामर्थ पाओगे; और यरूशलेम और सारे यहूदिया और सामरिया में, और पृथ्वी की छोर तक मेरे गवाह होगे।” ये यीशु के शब्द हैं जो उसने स्वर्ग जाने से पहले कहे थे।
यीशु ने वादा किया कि पवित्र आत्मा आएगा, और उसका वर्णन इस प्रकार किया कि वह हमें सामर्थ देगा। पवित्र आत्मा की यह सामर्थ सिर्फ हाथ हिलाने या शरीर हिलाने या अभिषेक को महसूस करने के लिए ही नहीं है। यहाँ ‘सामर्थ’ शब्द ग्रीक शब्द “डुनामिस” से लिया गया है। जिसका वास्तव में अर्थ है परिवर्तन लाने की गतिशील क्षमता। आज के हमारे मुख्य वर्स पर दुबारा नजर डालें। हम वहाँ पौलुस की चेतना को देखते हैं, वह इतना अधिक सचेत था कि उसने कहा कि वह परमेश्वर की सामर्थ से काम करता है, और परमेश्वर की यह महान सामर्थ उसके अन्दर काम कर रही है।
पवित्र आत्मा की सामर्थ से अवगत होना बहुत महत्वपूर्ण है। आपको असंभव कार्य करने का अधिकार दिया गया है, तथा अपनी इच्छानुसार परिवर्तन लाने की गतिशील क्षमता से परिपूर्ण किया गया है। यह सामर्थ कहीं भी, किसी भी परिस्थिति में काम करेगी: इसे अपने परिवार, धन, नौकरी, स्वास्थ्य या अपने बिज़नेस में काम में लाएँ।
प्रार्थना:
अनमोल पिता, मुझे पवित्र आत्मा से भरने के लिए धन्यवाद, जो मुझे सब बातों में सिखाता है। मैं आपके उस सामर्थ से परिचित हूँ जो मुझमें कार्य करता है। और मैं अपने जीवन के प्रति लापरवाह होने से इनकार करता हूँ। मैं आत्मिक रूप से परिपक्व और विकसित होने के लिए प्रत्येक दिन कार्य करता हूँ। आपके साथ मेरी संगति मेरे लिए महत्वपूर्ण है। मैं और अधिक जानना चाहता हूँ और तेजी से आगे बढ़ना चाहता हूँ। मैं इस सौभाग्य के लिए आपका सम्मान करता हूँ और धन्यवाद करता हूँ। यीशु के नाम में। आमीन।