और अब मैं तुम्हें परमेश्वर को, और उसके अनुग्रह के वचन को सौंप देता हूं; जो तुम्हारी उन्नति कर सकता है, और सब पवित्रों में साझी करके मीरास दे सकता है। (प्रेरितों के काम 20:32)

वचन में क्षमता है कि वह आपको वह बना दे जिसके बारे में वह बात करता है। अपने वचन को अपको देने में परमेश्वर का उद्देश्य यह है कि आप उसके वचन बन जाएं।

जब आप परमेश्वर के वचन पर मनन करते हैं, यह आपको स्वयं के साथ एक होने में बदल देता है; इसका अर्थ यह है कि जैसे ही आप वचन पर मनन करते हैं, आप धीरे-धीरे वचन बन जाते हैं। प्रेरित पौलुस का यही मतलब था जब उसने कहा, “परन्तु जब हम सब के उघाड़े चेहरे से प्रभु का प्रताप इस प्रकार प्रगट होता है, जिस प्रकार दर्पण में, तो प्रभु के द्वारा जो आत्मा है, हम उसी तेजस्वी रूप में अंश अंश कर के बदलते जाते हैं॥” (2 कुरिन्थियों 3:18)! आप ‘उसी तेजस्वी रूप में’ ,कैसे आते हैं? यह केवल उसके आत्मा से भर कर वचन पर मनन करने के माध्यम से हो सकता है।

जैसे ही आप परमेश्वर के वचन पर मनन करेंगे, आपको पता चलेगा कि आपने परमेश्वर की तरह सोचना, कार्य करना और बातचीत करना शुरू कर दिया है। आपका पूरा जीवन उसके वचन का प्रतिबिंब बन जाएगा।

प्रशंसा:
अनमोल प्रभु आपके जैसा कोई और नहीं हैं! आप पवित्र हैं! आप सर्वशक्तिमान हैं! आपका वचन मेरी रोशनी है और मैं आपका वचन, मुझे देने के लिए आपकी आराधना करता हूँ। आपके नाम की महिमा सदैव बनी रहे!

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