मैं सब से पहिले यह उपदेश देता हूं, कि बिनती, और प्रार्थना, और निवेदन, और धन्यवाद, सब मनुष्यों के लिये किए जाएं। राजाओं और सब ऊंचे पद वालों के निमित्त इसलिये कि हम विश्राम और चैन के साथ सारी भक्ति और गम्भीरता से जीवन बिताएं। यह हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर को अच्छा लगता, और भाता भी है। वह यह चाहता है, कि सब मनुष्यों का उद्धार हो; और वे सत्य को भली भांति पहिचान लें। (1 तीमुथियुस 2:1-4)
जिस देश में आप पैदा हुए या जहां आप रहते हैं, वह कोई ऐसी चीज नहीं है जिसे आपने चुना है या जहां आप संयोग से पहुंचे हैं। आप जहां हैं, वहां अपना होना परमेश्वर की योजना है। आपका देश आपकी जिम्मेदारी है।
हमारा मुख्य वर्स इतना गहन हैं कि वे हमें सरकार में बैठे लोगों और हमारे देश में अधिकारिक पदों पर बैठे लोगों के लिए प्रार्थना करने के महत्व को समझाते हैं। प्रेरित पौलुस ने कहा कि प्रार्थना करें ताकि मसीह में विश्वासियों को; “…विश्राम और चैन के साथ सारी भक्ति और गम्भीरता से जीवन बिताने” मिले। आपको अपने देश और उसके कानून निर्माताओं के लिए प्रार्थना करनी चाहिए ताकि आपके देश में सुसमाचार का प्रचार बेरोक तरीक़े से हो सके। फिर, वह कहता है कि प्रार्थना करो कि सब मनुष्य उद्धार पाएं, क्योंकि परमेश्वर यही चाहता है (संदर्भ 1 तीमुथियुस 2:4)।
कई मसीहों का अपने देश के प्रति प्रार्थना की जिम्मेदारी से भागने का दृष्टिकोण है। वे हमेशा अपने मूल देश से बाहर बसने की फ़िराक़ में रहते हैं, बेहतर जीवन स्तर पाने और सुसमाचार का प्रचार करने के लिए आसान भूमि पाने हेतु। अगर आप ऐसा करते हैं तो यह शर्म की बात है। जब तक परमेश्वर आपको नहीं जाने के लिए न कहे, तब तक कभी भी कही और जाने की योजना न बनाएं। याद रखें, चाहे आप कहीं भी जाना चाहें: “यदि यहोवा घर न बनाए, तो उसके बनानेवालों का परिश्रम व्यर्थ होगा; यदि यहोवा नगर की रक्षा न करे, तो पहरेदार का जागना व्यर्थ होगा।” (भजन संहिता 127:1)
आपका देश आपकी जिम्मेदारी है। अपने देश, उसके लोग और सत्ता में बैठे लोगों के लिए प्रतिदिन घुटने टेककर प्रार्थना करें। आप मसीह में एक देश निर्माता हैं।
प्रार्थना:
प्रिय पिता, मेरे देश को मेरे हाथों में सौंपने के लिए धन्यवाद। मैं अपने देश, उसके लोग और उसकी सरकार के लिए लगन से प्रार्थना करता हूँ ताकि मेरे देश में शांति और प्रभु की महिमा स्थापित हो, यीशु के महान नाम में। आमीन!