क्योंकि मसीह का प्रेम हमें विवश करता है, इसलिये कि हम यह समझ चुके हैं कि जब एक सब के लिये मरा तो सब मर गये। और वह सब के लिये मरा ताकि जो जीवित हैं, वे आगे को अपने लिये न जीयें, परन्तु उसके लिये जो उनके लिये मरा और जी उठा। (2 कुरिन्थियों 5:14-15 AMP)

संसार और उसके तत्व प्रेम से रहित हैं। एकमात्र सच्चा प्रेम, वह प्रेम है जिससे परमेश्वर ने यीशु मसीह में हमसे प्रेम किया। हमारा मुख्य वर्स बहुत ही गहरा है। यह हमें सिखाता है कि हमारा जीवन हमारे मास्टर यीशु से प्रेम करने और उसके लिए जीने के बारे में क्यों होना चाहिए। प्रभु यीशु के प्रति हमारा प्रेम, हमारे मसीह जीवन का एक ऐसा तत्व है जिसे अन्य सभी बातों पर हावी होना चाहिए।

जो कोई यीशु से प्रेम नहीं करता, वह उसे नहीं जानता। अगर उन्हें कभी पता चल जाए कि वह कौन है, तो वे निश्चित रूप से उससे प्रेम करने लगेंगे। जितना अधिक आप यीशु को जानेंगे, उतना अधिक आप उससे प्रेम करेंगे!

यह महत्वपूर्ण है कि आप हमारे प्रभु यीशु मसीह के प्रति अपने प्रेम में बढ़ें। आपको आज उससे
कल के मुक़ाबले और अधिक प्रेम होना चाहिए। अगर ऐसा नहीं है तो कुछ गड़बड़ है। आप अपने विश्वास के मार्ग पर आगे नहीं बढ़ रहे हैं। जितना अधिक आप वचन का अध्ययन करेंगे, उतना ही अधिक आप उसे जानेंगे और उतना ही अधिक आप उससे प्रेम करेंगे।

अपने आप को उसके प्रेम में डुबो लें, तथा प्रत्येक दिन उसे और अधिक प्रेम करने के लिए जियें। यदि यही आपका लक्ष्य बन जाये, तो आप निश्चय ही परमेश्वर की सिद्ध इच्छा के अनुसार चलेंगे, तथा उसकी महिमा में आनन्दित होंगे। आपके लिए जीवन में दिशा खोना असंभव होगा, क्योंकि यीशु के प्रति आपका प्रेम सभी चीजों को आपके भले के लिए काम करवाएगा (संदर्भ: रोमियों 8:28)। तब आपका जीवन आनंद, शांति और अलौकिकता की एक अंतहीन धारा बन जाएगा। याद रखें, पृथ्वी पर जीवन तब तक कुछ नहीं है जब तक हम इसे यीशु के लिए नहीं जीते।

प्रार्थना:
प्रिय पिता, मेरे प्रति आपके बहते प्रेम के लिए धन्यवाद। मैं अपना जीवन यीशु मसीह से प्रेम करने के लिए जीता हूँ, जिसने स्वयं को मेरे लिए दे दिया। मैं आपके प्रेम में निहित और स्थिर हूँ, और मैं आज आपके प्रेम को अपनी दुनिया में प्रकट और प्रसारित करता हूँ, यीशु के नाम में । आमीन।

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