और मेरा परमेश्वर भी अपने उस धन के अनुसार जो महिमा सहित मसीह यीशु में है तुम्हारी हर एक घटी को पूरी करेगा। (फिलिप्पियों 4:19)
एक व्यक्ति के जीवन में कमी का होना एक आत्मिक बात है ना की शारीरिक। कमी, किसी चीज़ का न होना नही है, परन्तु एक अवस्था है जब लोग परमेश्वर के सप्लाई से ग्रहण नही कर पाते। दिमागी तौर पर एक व्यक्ति विश्वास करता है कि उसके पास कुछ नही है, और आत्मा में, वह कमी के डर से भरा होता है। डर बुराई की शक्ति में विश्वास करना है। ऐसा उन लोगों के साथ बहुत बार होता है जो कमी की मानसिकता में होते हैं कि वे डरने लग जाते हैं और खुद को बुरी परिस्थिति में कल्पना करने लग जाते हैं, भले ही सब कुछ सही हालत में हो; पर क्योंकि वह कमी की मानसिकता में होते हैं, जिन चीजों से वे डर रहे थे वह सच हो जाती हैं उनके जीवन में।
हमारे मुख्य वर्स में पौलुस ने हियाब के साथ फिलिपियों के लोगों को कहा, कि उसका परमेश्वर उनकी हर एक ज़रूरत को पूरा करेगा। इस कथन के बारे में दिलचस्प बात यह है कि इस कथन में वह खुद को, ज़रूरतों के लिए प्रयोजन ग्रहण करने में शामिल नही करता, इसलिए नही क्योंकि उसे किसी चीज़ की ज़रूरत नही थी बल्कि इसलिए क्योंकि वह पहले ही सम्पूर्ण भरपूरी में चल रहा था। वह जानता था कि वह मसीह यीशु में परमेश्वर का वारीस है, इसलिए उसने गलातियों को कहा, कि वे मसीह के हैं और इसलिए अब्राहम के बीज हैं, और वायदे के अनुसार वारिस भी (गलातियों 3:29)।
कमी की मानसिकता रखने से इनकार कीजिए और परमेश्वर की संतान की मानसिकता को अपनाइए। मसीह में अपनी पहचान और अपनी विरासत की चेतना में रहिए।
घोषणा:
मैं गरीबी की मानसिकता में रहने से इनकार करता हूँ। मैं गरीब नही हूँ ना ही मैं कमी में जीता हूँ। मसीह में मैं अब्राहम का बीज हूँ और परमेश्वर के वायदे के अनुसार वारीस भी। मैं अपने दिमाग को नया करता हूँ और अपनी आर्थिक स्थति में परिवर्तित हो जाता हूँ। धन्यवाद पिता मुझे सुसमाचार के द्वारा बहुतायत में लाने के लिए!