अपनी बोली में अनुग्रही बनें। लक्ष्य यह है कि आप अपनी बातों के द्वारा दूसरों में सबसे अच्छा बाहर ला सकें, न की उन्हें नीचा दिखाएं और उन्हें अलग काट दें (कुलुस्सियों 4:6)
क्या आपने कभी खुद को ऐसी परिस्थिति में पाया है, जहाँ आप किसी से प्रेम रखते हों परन्तु, वे आपके द्वारा किया गया प्रेम महसूस नही करते? अगर हाँ, तो आपके बोलने के और बात करने के तरीके में कुछ समस्या है। यह बहुत ज़रूरी है कि जब आप बोलते हैं, आप सही शब्दों का इस्तेमाल करें; अनुग्रह के शब्द न की दोषारोपण के, प्रेम के शब्द न की निर्णायक शब्द। जिस तरह से आप एक चीज़ को बोलते हैं वह सामने वाले व्यक्ति पर उस बात के असर को बदल सकता है। पौलुस ने इफिसियों 4:29, में इस बात पर जोर देते हुए कह, “कोई गन्दी बात तुम्हारे मुंह से न निकले, पर आवश्यकता के अनुसार वही जो उन्नति के लिये उत्तम हो, ताकि उस से सुनने वालों पर अनुग्रह हो”
हमारे परमेश्वर के जन, पास्टर ज़ायन, अनुग्रही वार्तालाप के एक सिद्ध उदाहरण हैं। मैंने कभी भी किसी व्यक्ति को पास्टर के द्वारा मिनिस्टर किये जाने या डांटे जाने के बाद, बिगरते हुए नही देखा। मैंने सिर्फ उन्हें ऊँचे स्तर के मानसिकता में बढ़ते हुए देखा है, अपनी बच्चों की सी बातों को पीछे छोड़ते हुए। पास्टर हमेशा लोगों में सबसे अच्छा बाहर निकाल के लाते हैं, उन्हें नीचा दिखाए बीना और उन्हें तोड़े बीना। एक अम्बसेडोर ऑफ़ ज़ायन होने के नाते आपको हमारे परमेश्वर के जन का उदाहरण फ़ॉलो करना चाहिए।
दूसरों को परमेश्वर की आँखों से देखिए और उन्हें उसी तरह से बोलिए। अपनी बोल चाल में विनम्र बनिए (याकूब 4:6)। दूसरों को सम्भोधित करते वक़्त कभी अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल मत कीजिए, उनके खिलाफ अपनी आवाज़ ऊँची मत कीजिए। विनम्र बनिए, आदर दीजिए और दूसरों के साथ अपने रिश्तों में अनुग्रही बने रहिए।
घोषणा:
मैं अपनी बोली में अनुग्रही हूँ। मैं दूसरों में सबसे अच्छा बाहर निकालता हूँ और कभी उन्हें नीचा नही करता। कोई भी गन्दी बात कभी मेरे मुँह से नही निकलती परन्तु मैं वो बोलता हूँ जो दूसरों को उठाता है। मैं अनुग्रह बांटता हूँ जब मैं बोलता हूँ और जो भी मुझे सुनता है वह परमेश्वर के प्रेम को अनुभव करता है, यीशु के नाम में। आमीन!