इस संसार के सदृश न बनो; परन्तु तुम्हारी बुद्धि के नये हो जाने से तुम्हारा चाल-चलन भी बदलता जाए। तब तुम परमेश्वर- की भली, और भावती, और सिद्ध इच्छा अनुभव से मालूम करते रहोगे। (रोमियों 12:2 NIV)

मसीह लोगों को अपने विश्वास के मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए लगातार स्वयं, को चुनौती देने की आवश्यकता है। आत्मिकता के अगले स्तर पर जाने के लिए एक व्यक्ति को सचेत रूप से चुनाव और प्रयास करना होगा। परमेश्वर की संतान के लिए इस संसार की चुनौतियाँ अनावश्यक हैं, हालाँकि, आत्मिक विकास के लिए चुनौतियों का चयन बुद्धिमानी से किया जाना चाहिए और दृढ़ इरादे के साथ उन पर कार्य किया जाना चाहिए। सबसे महत्वपूर्ण चुनौतियों में से एक है, पवित्र शास्त्रों के माध्यम से हमारे मन के नवीनीकरण का स्वागत करना (संदर्भ: रोमियों 12:2)।

जब आपकी सोच वचन के साथ नयी होती है, तो आपकी मानसिकता बदल जाती है, और आप अपने जीवन के लिए परमेश्वर की इच्छा और उद्देश्य के अनुसार चलते हैं। अपने आप को चुनौती दें कि जब आप शास्त्रों में से कोई ऐसी बात पाएंगे जो आपके अंदर नहीं है, तो आप अपनी सोच बदलेंगे। शास्त्र हमें अनंत संभावनाएं बताता हैं, हमें उनके लिए प्रयास करना चाहिए तथा विश्वास के माध्यम से उन्हें प्राप्त करना चाहिए। परमेश्वर हमें बताता है कि जो कुछ भी हम पर प्रकट किया गया है वह हमारा है (संदर्भ. व्यवस्थाविवरण 29:29)।

क्या आपने अभी किसी नए आत्मिक उपहार के बारे में जाना है? उसकी इच्छा करें और उसे प्राप्त करें। जो कुछ भी आप चाहते हैं वह आपके लिए उपलब्ध कराया जाएगा। क्या आपने अन्य भाषाओं में प्रार्थना करना शुरू कर दिया है? यदि नहीं, तो यह वरदान प्राप्त करें और प्रार्थना करना शुरू करें। यदि आप पहले से ही अन्य भाषाओं में प्रार्थना करते हैं, तो अपने लिए समय निर्धारित करें कि आप इसके लिए गुणवत्तापूर्ण समय दे सकें, तथा आप इस उपहार को निखार सकें।

परमेश्वर आज आपसे कह रहा है कि आप जहाँ हैं, वहीं अटके न रहें। क्या आप राज्य के लिए आत्माओं को जीत रहे हैं? क्या आप राज्य के धन में भाग ले रहे हैं? जो दूसरों को चंगा करता है वह कभी बीमार नहीं हो सकता, और जो देता है वह कभी गरीब नहीं हो सकता। उस चमत्कारी जीवन के प्रावधानों को स्वीकार करें जो परमेश्वर ने अपने पुत्र, यीशु मसीह का बलिदान देकर आपको दिया है। अपने जीवन में उसके बलिदान को व्यर्थ न जाने दें। वह आपके लिए इसलिए नहीं मरा, ताकि आप सिर्फ़ एक साधारण जीवन जी सकें। यीशु को यह विश्वास था, कि यदि वह आपके लिए मरेगा, तो आप उसे और एक महान जीवन को, अनंत महिमा के साथ चुनेंगे।

इसलिए, शास्त्रों के माध्यम से स्वयं को चुनौती दीजिए, और अपने मन को नवीकरण करके अपने जीवन को बदल दीजिए। आप अलौकिक जीवन का ऐसा अनुभव करेंगे, जैसा पहले कभी नहीं किया होगा।

प्रार्थना
धन्यवाद पिता, कि आपने मुझमें रहने के लिए अपनी पवित्र आत्मा भेजी है। मैं अपने जीवन में कठोर होने से इंकार करता हूँ। मैं हर दिन आत्मिक रूप से जीना चुनता हूँ। मैं आपकी आराधना करता हूँ और मैं हर दिन आपमें और अधिक विकसित होना चाहता हूँ। मैं अपने अंदर आपके काम को पहचानता हूँ, यीशु के नाम में। आमीन!

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