फिर तुम यह भी कहते हो, “ ओह! परमेश्वर की सेवा करना तो बहुत मुश्किल है और वह मानना भी जो वह कहता है”| तुम ने उस भोजनवस्तु के प्रति नाक भौं सिकोड़ी, और अत्याचार से प्राप्त किए हुए और लंगड़े और रोगी पशु की भेंट ले आते हो! क्या मैं ऐसी भेंट तुम्हारे हाथ से ग्रहण करूं? यहोवा का यही वचन है। जिस छली के झुण्ड में नरपशु हो परन्तु वह वादा कर परमेश्वर को बर्जा हुआ पशु चढ़ाए, वह शापित है; मैं तो महाराजा हूं, और मेरा नाम अन्यजातियों में भययोग्य है, सेनाओं के यहोवा का यही वचन है| (मलाकी 1:13-14 टीएलबी)
परमेश्वर सर्वोत्तम का हक़दार है| वह सबसे श्रेष्ठ है और सब से परमप्रधान है| उसके पास हर एक चीज़ के ऊपर का अधिकार और सामर्थ है और उसने हमें कुछ सिद्धांत दिए हैं अपने वचन में जिसके अनुसार हमें जीना है, ताकि उसकी सामर्थ हमारी ज़िन्दगी की ओर केन्द्रित हो; उन में से एक है देना!
हम परमेश्वर को इसलिए नही देते क्योंकि परमेश्वर को हमारी ज़रूरत है, हम परमेश्वर को देते हैं अपनी विश्वसनीयता और भरोसा दिखाने के लिए| इसलिए यह मायने रखता है कि आप क्या देते हैं और कैसे देते हैं| बहुत लोग परमेश्वर को वह देते हैं जो उनके लिए मायने नही रखता, कुछ लोग इस हद तक भी चले जाते हैं कि वे परमेश्वर को वह नोट भेंट में देते हैं जिन्हें बैंकों ने भी अस्वीकार कर दिया है| और फिर भी वे गर्व से कहते हैं; “कम से कम हमने दिया, कुछ लोग तो देते भी नही हैं”| पर, बाइबिल तो हमें उन लोगों का अनुसरण करने को कहती है जिन्होंने विश्वास के द्वारा प्रतिज्ञाएँ प्राप्त की (संदर्भ इब्रानियों 6:12), न की उनका जिनका प्रभु उनका पेट है (संदर्भ फिलिप्पियों 3:19)|
देने के वक़्त आपका रवैया भी मायने रखता है| जब आप कुर्कुराके देते हैं, पवित्र आत्मा आपके भेंट को नही स्वीकारती और वह उसके द्वारा पवित्र नही की जाती| इसलिए, आप अपने देने का फल कभी नही पाएँगे| हमारा मुख्य वर्स देने के प्रति परमेश्वर की सोच पर रौशनी डालता है|
हर बार जब आप परमेश्वर को अपना सबसे अच्छा देते हैं, आप एक बाइबिल के सिद्धांत को एक्टिवेट करते हैं और आप अपने विश्वास और भरोसे के कदम के लिए आशीष पाते हैं| यही कारण है कि आपको पूरे हृदय से परमेश्वर की सेवा करनी चाहिए और अपनी सारी शक्ति से उसकी आराधना करनी चाहिए। कोई भी भेंट या क़ुरबानी आपके लिए उसे देने हेतु बड़ी नही होनी चाहिए, क्योंकि आप कभी परमेश्वर से ज्यादा नही दे सकते| इसलिए हमेशा उसे सर्वश्रेष्ठ दीजिये| आपको अपना सब कुछ उसे देना है- अपने आप का सबसे अच्छा और आपके पास जो है उसका सबसे अच्छा- आपका समय, संसाधन, ताकत, और आपका जीवन; क्योंकि वह सबसे अच्छे के काबिल है| अपने देने के द्वारा उसका आदर कीजिये|
प्रशंसा:
अद्भुत परमेश्वर, आप महान है और सबसे अच्छे के काबिल है! मैं आपकी अराधना करता हूँ अपने सबसे अच्छे के साथ| आप सबसे ऊंचे है और आप ही सारा अधिकार और सामर्थ है| मेरा आनंद आप में है आज और हमेशा!