धन्य है वह पुरुष जो यहोवा पर भरोसा रखता है, जिसने परमेश्वर को अपना आधार माना हो। वह उस वृक्ष के समान होगा जो नदी के तीर पर लगा हो और उसकी जड़ जल के पास फैली हो; जब घाम होगा तब उसको न लगेगा, उसके पत्ते हरे रहेंगे, और सूखे वर्ष में भी उनके विषय में कुछ चिन्ता न होगी, क्योंकि वह तब भी फलता रहेगा। (यिर्मयाह 17:7-8)
ज्ञान तभी आजादी देता है जब उस पर कार्य किया जाए। कार्य के बीना ज्ञान बस बीना किसी काम की एक प्रेरणा है। बहुत बार यह सवाल उठता है कि हम परमेश्वर के साथ कैसे चल सकते हैं? अगर आप देखें, तो परमेश्वर ने अपने आप को रहस्यमयी नहीं रखा ना ही अपने तरीकों को रहस्यमयी रखा है। परमेश्वर सुन्दर है और उसने अपने तरीकों को साफ़ तौर पर परमेश्वर के वचन में रखा है। उसका तरीका विश्वास का तरीका है, और यही विश्वास की जीवन शैली हमें दी गयी है जिसके द्वारा हम जीते हैं। विश्वास में उसके वचन के ऊपर चलना, परमेश्वर के साथ चलने की चाभी है।
हमारे विश्वास की जीवन शैली में ऐसी कई चीजें हैं जो परमेश्वर ने हमें करने को कही हैं। परमेश्वर ने आपके लिए चीजें आसान कर दी हैं। यह इतना आसान है की आपको बस उसके तरीकों पर चलना है और बाकि सारी चीजें आपको फॉलो करेंगी। कुछ लोग हैं जो बस प्रार्थना करते हैं और सोचते हैं कि क्यों चीजें उनके लिए कार्य नही कर रही भले ही वह इतनी प्रार्थना कर रहे हैं। चीजें हमारे साथ सिर्फ इसलिए सही नही चलती क्योंकि हम प्रार्थना कर रहे हैं। हमें अपने आप को एक चर्च को सौंपना ज़रूरी है, और फिर परमेश्वर के वचन के अध्ययन में लगातार बने रहना और अपने पास्टरों द्वारा मार्गदर्शन पाना ज़रूरी है, साथ ही हमें अपने आप को चर्च के प्रोग्राम में जैसे आत्माएं जितना, हिस्सेदारी में शामिल करना, और निरंतर परमेश्वर को अपने भेंट, धन्यवाद, बीज देना और दश्वांश और पहलौटा लौटाना ज़रूरी है। परमेश्वर ने हमें कितना सुन्दर जीवन जीने का तरीका दिया है जिसके द्वारा हम हमेशा शान्ति और ख़ुशी में जी सकते हैं।
उन में से एक न बने जिनके पास यह गवाही हो की वह एक वक़्त में परमेश्वर के साथ चला करते थे और उनके पास कई गवाहियाँ हुआ करती थी पर अब चीजें बहुत मुश्किल हो गयी हैं।
घोषणा:
मैं परमेश्वर के सिद्धांतों पर चलता हूँ और हर एक ओर बढ़ता जाता हूँ। मैं अपने विश्वास की चाल को चलता हूँ, हर एक दिन विजय के साथ जीते हुए जैसे मैं अपने पुनर्निर्मित पथ पर चलता हूँ, यीशु के नाम में। आमीन!