इसलिये कोई मनुष्य मनुष्यों पर घमण्ड न करे, क्योंकि सब वस्तुएं तुम्हारी हैं। (1 कुरिन्थियों 3:21)
आप में मसीह, मसीहत का सार है। आप में मसीह, शांति है, यह दिव्यता है, यह परिपूर्णता है, यह स्वर्ग है; यह सबकुछ है। कोई आश्चर्य नहीं कि प्रेरित पौलुस ने हमारे मुख्य वर्स में ऐलान किया की: “….सब कुछ तुम्हारा है”।
जब हमारे पास यीशु है, तो सचमुच हमारे पास सबकुछ है। यीशु हमारी बुद्धिमत्ता, हमारी सत्यनिष्ठा और हमारा जीवन है। उसमें बुद्धिमत्ता और ज्ञान के सारे खजाने छिपे हुए हैं। जितना अधिक आप यीशु के साथ एक होते जाएंगे, उतना ही अधिक आप इस तथ्य की हक़ीक़त में जीवन व्यतीत करेंगे। यही कारण है कि बाइबल कहती है, इब्रानियों 12:2; “हमारे विश्वास के कर्ता और सिद्ध करनेवाले यीशु की ओर ताकते रहो…”।
फिर 2 पतरस 1:3 में यह कहा गया है कि: “उसकी ईश्वरीय सामर्थ्य ने सब कुछ जो जीवन और भक्ति से सम्बन्ध रखता है, हमें उसकी पहचान के द्वारा दिया है, जिसने हमें अपनी महिमा और सद्गुण के अनुसार बुलाया है।” उसने “कुछ” नहीं, बल्कि “सब कुछ” कहा। इसलिए, हमें अभी कुछ भी “पाने” का प्रयास नहीं करना चाहिए; क्योंकि उसमें हमारे पास पहले से ही सब कुछ है। इस वर्स में प्रयुक्त काल यह दर्शाते हैं, कि यह पहले ही हो चुका है।
जीवन में आप जो कुछ भी चाहते हैं वह पहले से ही आपके अंदर मौजूद है। जो आपके पास पहले से है उसे पाने के लिए आपको प्रयास करने की आवश्यकता नहीं है। आपको यह जानने की आवश्यकता है कि जो पहले से ही मसीह में आपका है, उसे शारीरिक रूप में कैसे प्रकट किया जाए। जैसे आप प्रभु के साथ चलेंगे, उसमे बने रहेंगे, आप जान जायेंगे कि यह कैसे करना है।
प्रार्थना:
प्रिय पिता, मैं आपको धन्यवाद देता हूँ मसीह में मुझे सब कुछ देने के लिए। पवित्र आत्मा की शक्ति के द्वारा मेरे भीतर जो कुछ जमा हुआ है, मैं उसे आज अपने संसार के समक्ष प्रकट करता हूँ। मैं बहुतों को अंधकार से प्रकाश की ओर मोड़ता हूँ। मेरी कोई आवश्यकता या चाह नहीं है क्योंकि, मसीह मेरा सबकुछ है। आमीन!