पर जो कोई मनुष्यों के साम्हने मेरा इन्कार करेगा उस से मैं भी अपने स्वर्गीय पिता के साम्हने इन्कार करूंगा। (मत्ती 10:33)
ऊपर दिए वचन में यीशु ने दिखाया है कैसे हमारी उसके प्रति धारणा, स्वर्ग में हमारे स्थान को निर्धारित करेगी। उसने कहा,“पर जो कोई मनुष्यों के साम्हने मेरा इन्कार करेगा उस से मैं भी अपने स्वर्गीय पिता के साम्हने इन्कार करूंगा।“
इससे बड़ा कोई प्रेम नही कि एक व्यक्ति अपना जीवन देदे, और यही वह प्रेम है जिससे यीशु ने हमें प्रेम किया है, उसके साथ पहचाने जाने से मत लज्जाइये। गुमान के साथ, उसके लिए जीना सीखिए । गुमान के साथ अपने पुरे जीवन से उसकी सेवा कीजिए।
ऐसा अपने जीवन में कभी मत होने दीजिए, किसी भी वजह से, कि आप एक ऐसे स्तर पर आ जाएं कि आप अपने ही उद्धारकर्ता को नकारें! शैतान को कभी भी मसीह में आपकी पहचान चुराने मत दीजिए। यीशु मसीह में अपनी धारणा में बुलंद रहिए। याद रखिए, कि किसी ने भी अपना जीवन कभी आपके लिए नही दिया सिवाए यीशु के। उद्धार किसी में नहीं है, सिवाए यीशु के।
प्रार्थना:
प्रिय पिता, मैं आपके वचन के लिए धन्यवाद करता हूँ जो मुझे सुधारता है, बुलंद करता है, मेरे प्रभु के लिए मेरी धारणाओं में। मैं मसीह में अपनी पहचान से नही लज्जाता, परन्तु मैं पुरे हियाब के साथ इसे पूरी दुनिया में घोषित करता हूँ, ऐसे कि मेरी गवाही के द्वारा बहुतेरे अन्धकार से निकल कर उसकी अद्भुत ज्योति में आते हैं, यीशु के महान नाम में। आमीन!