और उसी में जड़ पकड़ते और बढ़ते जाओ; और जैसे तुम सिखाए गए वैसे ही विश्वास में दृढ़ होते जाओ, और अत्यन्त धन्यवाद करते रहो (कुलुस्सियों 2:7)
परमेश्वर हमें अपने वचन में निर्देश देता है की हमें अत्यंत धन्यवाद करते रहना चाहिएl मसीह में हमारा जीवन परमेश्वर के अनुग्रह और बहते प्रेम की गवाही है, फिर भी कुछ मसीह होते हैं जो हमेशा शिकायत करते हैंl इस तरह के मत बनिएl
कुछ लोगों ने नही समझा है कि धन्यवाद देना एक सामर्थ है इसलिए परमेश्वर चाहता है कि हम इसे अपनी जीवनशैली बनायेl वे परमेश्वर का धन्यवाद करते हैं जब सबकुछ अच्छा चलता दिख रहा है पर जैसे ही कोई चुनौती सामने आती है वे कुर्कुराने लग जाते हैं और शिकायत करने लगते हैंl यह एक नीचा जीवन हैl जो लोग धन्यवाद की भावना से भरे होते हैं, वे हर चुनौती का सामना कर उसके ऊपर खड़े होते है और ज्यादा विशाल बनते हुएl चुनौती हमारे अगले स्तर की सीढ़ीयां होती हैं, और धन्यवाद देना हमारा माध्यम है उन सीढ़ीयों को सफलतापूर्वक पार करने के लिएl
दाउद धन्यवाद का हृदय रखने वाला एक व्यक्ति था, जब उसका बेटा मर गया, तब भी वह परमेश्वर के भवन में प्रभु की अराधना करने गया, इसलिए कोई आश्चर्य नही कि वह सबसे कामयाब राजा था(संदर्भ 2 शमूएल 12:20)l सुनिए, परमेश्वर आप से प्रेम करता है और आपकी सफलता और आनंद आप से ज्यादा चाहता हैl कुर्कुराने और शिकायत करने से इनकार कीजिये, बल्कि अत्यंत धन्यवाद में भरे रहिये और आप अपनी सफलता को शीघ्र और तीव्र कर देंगेl
प्रार्थना:
प्रिय पिता, मैं आपका धन्यवाद करता हूँ मुझे धन्यवाद के मायने सिखाने के लिएl मैं आप से प्रेम करता हूँ मेरे पिता, और मैं हमेशा अत्यंत धन्यवाद से भरा रहूँगा, आप में भरोसा करते हुए; क्योंकि मैं जानता हूँ कि आप मुझ से प्रेम करते हैं और मेरे लिए आपकी योजना सफलता और बढ़ोतरी की हैl