इसलिये पहिले तुम परमेश्वर के राज्य और सत्यनिष्ठा की खोज करो तो ये सब वस्तुएं भी तुम्हें मिल जाएंगी। (मत्ती 6:33)
स्वर्ग का राज्य सिर्फ एक अवधारणा नहीं है – यह वास्तविक सामर्थ और दिव्य अधिकार वाला एक वास्तविक राज्य है। मसीह में, हम इस राज्य में जन्मे हैं, और विश्वासियों के रूप में, हम स्वर्ग के नागरिक हैं। पृथ्वी पर हमारा स्थान इस सत्य को नहीं बदलता। चाहे हम पृथ्वी पर हों या अनंत काल में, हमारी नागरिकता स्वर्ग में ही रहेगी।
यहां तक कि अब भी, जब हम इस पृथ्वी पर चलते हैं, परमेश्वर ने हमें अपने राज्य के सौभाग्य और सामर्थ प्रदान किये हैं। हमारे दैनिक जीवन में स्वर्गीय सामर्थ की हक़ीक़त का अनुभव करना न केवल संभव है, बल्कि यह हमारे लिए परमेश्वर की इच्छा भी है। वह चाहता है कि हम प्रत्येक दिन उसके राज्य के अधिकार की जागरूकता और अभिव्यक्ति के साथ जियें।
हालाँकि, इस हक़ीक़त में पूरी तरह से चलने के लिए हमें एक आवश्यक फैक्टर को अपनाना होगा: आत्मिक आज्ञाकारिता। अपने हृदय, दिमाग और कार्यों को परमेश्वर की इच्छा के अनुरूप ढालने से हम यहीं और अभी उसके राज्य की परिपूर्णता का अनुभव कर सकते हैं।
आपकी आत्मा की स्थिति क्या है? क्या यह स्वर्ग के राज्य के अनुरूप है? केवल यीशु पर विश्वास करने का अर्थ यह नहीं है कि आपकी आत्मिक स्थिति वहीं है जहाँ होनी चाहिए। कुछ विशिष्ट फैक्टर हैं जो आपकी आत्मिक आज्ञाकारिता को निर्धारित करते हैं – सबसे महत्वपूर्ण यह है कि क्या आप पवित्र आत्मा से भरे हुए हैं।
हमें पवित्र आत्मा के द्वारा, उसके प्रतिनिधियों के रूप में, उसका नाम, अधिकार और पहचान लेकर यह जीवन जीने के लिए बुलाया गया है। बाइबल स्पष्ट करती है कि यह हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम निरन्तर आत्मा से भरे रहें।
हम इसे कैसे करते हैं? जानबूझकर आत्मिक अनुशासन में संलग्न होने से जैसे कि परमेश्वर के वचन पर मनन करना, आराधना करना, प्रभु के लिए गाना, और उसकी सच्चाई बोलना। ये सिर्फ कभी-कभार कीये जाने वाले अभ्यास नहीं हैं, बल्कि दैनिक आदतें हैं जो हमें परमेश्वर के साथ जोड़े रखती हैं। पवित्र आत्मा से परिपूर्ण होना एक बार की घटना नहीं है – यह एक लगातार प्रक्रिया है। जिस तरह हम दीपक को जलाए रखने के लिए उसमें तेल भरते हैं, उसी तरह हमें पवित्र आत्मा की उपस्थिति की निरंतर खोज करनी चाहिए ताकि हम प्रतिदिन परमेश्वर की सामर्थ की परिपूर्णता में चल सकें।
प्रार्थना:
प्रिय स्वर्गीय पिता, आपके अनुग्रह और प्रचुर आशीषों के लिए धन्यवाद जो आपने अपनी संतान के रूप में मुझ पर उंडेले हैं। मैं स्वर्ग के राज्य के साथ आत्मिक संरेखण में चलना चाहता हूँ। मेरा जीवन आपकी आत्मा के द्वारा संचालित हो ताकि मैं आपकी सामर्थ, अधिकार और उद्देश्य में चल सकूँ। यीशु के नाम में। आमीन।