इसलिये कि जितने लोग परमेश्वर के आत्मा के चलाए चलते हैं, वे ही परमेश्वर के पुत्र हैं। (रोमियों 8:14)

मसीह होने के नाते एक सबसे बड़ा तोहफ़ा जो हमने पाया है वो है पिता के साथ, उसकी संतान की तरह संगति करने का सौभाग्य। इससे ज़्यादा क़ीमती इस दुनिया में कुछ भी नहीं है।

संगति का अर्थ है एकता। यह एक साथ आना है, यह एक संघ है। मसीह में हमें पिता के साथ बुलाये जाने का विशेषाधिकार मिला है। पिता के साथ इस संगति की घनिष्ठता हमारे जीवन की गुणवत्ता को निर्धारित करती है।

वह व्यक्ति जो पिता के साथ निरन्तर संगति नहीं रखता, वह आत्मा में नहीं चल सकता। ऐसा व्यक्ति हमेशा मिनिस्ट्री, चर्च और परमेश्वर के लोगों के प्रति शारीरिक दृष्टिकोण रखता है। परमेश्वर के पितृत्व को समझना और उसके साथ संगति रखना हमें आत्मिक रूप से जागरूक रखता है (संदर्भ: रोमियों 8:6)।

प्रार्थना के माध्यम से, आराधना के माध्यम से, उसके वचनों पर मनन के माध्यम से, उपवास के माध्यम से और परमेश्वर के घर में आपकी सेवा के माध्यम से पिता के साथ आपकी संगति होती है; और यह सब मिलकर आपको बाकियों से अलग करते हैं। आप यीशु मसीह के महिमामय सुसमाचार के एक वफादार गवाह बनकर आत्मा में चलते हैं, निडर होकर, जब आपकी पिता के साथ घनिष्ठ संगति होती हैं। संगति के बिना, आप पृथ्वी पर जो कुछ भी करते हैं उसका स्वर्ग में सम्मान नहीं होता। इसीलिए उद्धार की योजना में मसीह का सर्वोच्च और सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य संगति की बुहलाहट है; हमें पिता के साथ संगति में लाना। इस संगति को अत्यधिक महत्व दें।

प्रार्थना:
प्रिय पिता, मैं आपका धन्यवाद करता हूं आपके साथ संगति के विशेषाधिकार के लिए। आपके साथ मेरे रिश्ते के परिणामस्वरूप मेरे जीवन की हर बाधा नष्ट हो गई है। आत्मा में मेरा महिमामय चलन कई लोगों को यीशु की अद्भुत रोशनी में लाने का कारण बनता है, यीशु के अनमोल नाम में, मैं प्रार्थना करता हूँ। आमीन।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *