मैं यह आज्ञा देता हूं कि जहां जहां मेरे राज्य का अधिकार है, वहां के लोग दानिय्येल के परमेश्वर के सम्मुख कांपते और थरथराते रहें, क्योंकि जीवता और युगानयुग तक रहने वाला परमेश्वर वही है; उसका राज्य अविनाशी और उसकी प्रभुता सदा स्थिर रहेगी।(दानिय्येल 6:26)
दानिय्येल यहूदा के उन चार बच्चों में से एक था जिन्हें बेबीलोन के राजा ने राजमहल के मामलों में प्रशिक्षण देने के लिए ले लिया था ताकि वे उसकी सेवा कर सकें। बाइबिल दानिय्येल 1:20 में कहती है; “और बुद्धि और हर प्रकार की समझ के विषय में जो कुछ राजा उन से पूछता था उस में वे राज्य भर के सब ज्योतिषयों और तन्त्रियों से दस गुणे निपुण ठहरते थे।”
दानिय्येल में उन्होंने पाया था; “उस में उत्तम आत्मा, ज्ञान और प्रवीणता, और स्वप्नों का फल बताने और पहेलियां खोलने, और सन्देह दूर करने की शक्ति पाई गई। इसलिये अब दानिय्येल बुलाया जाए, और वह इसका अर्थ बताएगा..” (दानिय्येल 5:12)। उसने विभिन्न राजाओं की सेवा की और अपनी बुद्धिमता से उनका मार्गदर्शन किया, लेकिन उसकी परम आज्ञाकारिता हमेशा परमेश्वर के प्रति थी।
जब राजा दारा बेबीलोन पर शासक बना। दानिय्येल को उसकी आँखों में भी पक्ष मिला, और वह उसे सारे राज्य पर प्रधान बनाना चाहता था। राजा के कुछ बुद्धिमान लोग ईर्ष्यालु थे और उन्होंने राजा से धोखे से एक कानून बनवा दिया, जिसमें, हर किसी को राजा की आरधाना करनी थी, किसी अन्य व्यक्ति या परमेश्वर की नहीं, ऐसा न करने पर दंड भुगतना होता। वे जानते थे कि दानिय्येल इस्राएल के परमेश्वर यहोवा का एक निष्ठावान उपासक था, और चाहते थे कि उसे दंडित किया जाए। कानून के बावजूद, दानिय्येल ने अपनी दैनिक दिनचर्या के अनुसार परमेश्वर से प्रार्थना की। इसलिये उन्होंने उसे राजा के सामने उपस्थित किया, और यद्यपि राजा दानिय्येल से प्रेम रखता था, वह अपने द्वारा बनाए गए कानून के खिलाफ नहीं जा सकता था, और इसलिए दानिय्येल को सजा के रूप में शेर की मांद में फेंक दिया गया था। बाइबिल कहती है, राजा को रात में नींद नहीं आई और अगली सुबह, राजा शेरों की मांद की ओर दौड़ पड़ा। उसने दानिय्येल को यह देखने के लिए बुलाया कि क्या वह अभी भी जीवित है। दानिय्येल ने वापस उत्तर दिया! उसने राजा से कहा कि परमेश्वर ने शेरों का मुंह बंद करने के लिए एक स्वर्गदूत भेजा था। शेरों ने उसे कोई नुकसान नहीं पहुँचाया। राजा ने अब उसके बजाय उन बुद्धिमान लोगों को दंडित किया जिन्होंने उससे धोखे से क़ानून बनवा दिया था, और उन्हें उसी मांद में फेंक दिया। राजा ने तब कानून को समाप्त कर दिया और इसके बजाय एक अद्भुत आदेश दिया: “मैं यह आज्ञा देता हूं कि जहां जहां मेरे राज्य का अधिकार है, वहां के लोग दानिय्येल के परमेश्वर के सम्मुख कांपते और थरथराते रहें, क्योंकि जीवता और युगानयुग तक रहने वाला परमेश्वर वही है; उसका राज्य अविनाशी और उसकी प्रभुता सदा स्थिर रहेगी। जिसने दानिय्येल को शेरों से बचाया है, वही बचाने और छुड़ाने वाला है; और स्वर्ग में और पृथ्वी पर चिन्हों और चमत्कारों का प्रगट करने वाला है”(दानिय्येल 6:26-27)।
ये कितना शक्तिशाली है! परमेश्वर के वचन के प्रति एक व्यक्ति की आज्ञाकारिता ने पूरे राज्य को परमेश्वर के ज्ञान में ला दिया। यह हमें सिखाता है कि स्थिति कोई भी हो, परिणाम कोई भी हो; हमें सदैव परमेश्वर और उसके वचन के प्रति अपनी आज्ञाकारिता पर कायम रहना चाहिए। परमेश्वर ने उस पर भरोसा करने वाले को कभी निराश नहीं किया है, वह उस पर भरोसा करने वाले को कभी निराश नहीं करेगा। हल्लेलुयाह!
घोषणा:
मैं पूरे मन से प्रभु पर भरोसा रखता हूं और अपनी समझ का सहारा नहीं लेता; मैं अपने सब कामों में उसके अधीन रहता हूं, और वह मेरे लिये मार्ग सीधा करता है, यीशु के नाम में। आमीन!!