चाहे तुम दाहिनी ओर मुड़ो, चाहे बाईं ओर, तुम्हारे कानों को पीछे से यह शब्द सुनाई देगा, “मार्ग यही है, इसी पर चलो।” (यशायाह 30:21)
जब परमेश्वर की आवाज़ कोई निश्चित आज्ञा और निर्देश देती है, तो आपको उस पर कार्य करने के लिए तत्पर होना चाहिए। आप उसकी आज्ञा को टाल नहीं सकते ना ही विलंब कर सकते हैं । आपकी उन्नति और महानता उसकी आवाज पर कार्य करने की आपकी तत्परता में ही निहित है।
एक निश्चित समय पर परमेश्वर ने फिलिप्पुस से कहा कि वह यरूशलेम से गाजा तक के रेगिस्तानी रास्ते की ओर भाग जाए। परमेश्वर समय के प्रति विशिष्ट था और मार्ग के प्रति भी विशिष्ट था। जब फिलिप्पुस ने परमेश्वर की आज्ञा मानी, तो उसने इथियोपियाई खोजे के साथ बैठक समाप्त की, उसने खोजे को सुसमाचार सुनाया और सुसमाचार अफ्रीका तक पहुँच गया। यह सब परमेश्वर की रणनीति थी जिसे फिलिप्पुस ने क्रियान्वित किया। मुद्दा यह है, कि फिलिप्पुस परमेश्वर की अगुवाई और मार्गदर्शन के प्रति संवेदनशील और तत्पर था। उसने समय बर्बाद नहीं किया ना ही निर्देश को टाला, बल्कि समय पर कार्य किया।
ऐसे कई लोग हैं जो परमेश्वर की आवाज़ के प्रति असंवेदनशील होने के कारण अपना चमत्कार, नौकरी, प्रोजेक्ट, महत्वपूर्ण दिव्य संबंध आदि खो देते हैं। परमेश्वर की आवाज़ पर अमल करने में देरी करने से उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ता है। इस ट्रेजेडी को अपने साथ घटित न होने दे। जब परमेश्वर की आवाज़ विभिन्न तरीकों से आपके पास आती है तो उस पर तुरंत कार्य करने का अभ्यास करें, यही परमेश्वर की आत्मा के समय के प्रति संवेदनशील होने का तरीका है।
प्रशंसा:
धन्यवाद, आपका वचन मेरे जीवन में सदैव मौजूद है! आपकी आवाज़ मेरा मार्गदर्शन करती है, आपका वचन मेरा नेतृत्व करता है। मैं प्रत्येक दिन अपने आप को अधिक से अधिक आपके प्रति समर्पित करता हूँ। मैं आपसे प्रेम करता हूं और आपके लिए अपना जीवन जीता हूं। आपके महिमामय नाम को युगानुयुग महिमा मिले!