कि हमारे प्रभु यीशु मसीह का परमेश्वर जो महिमा का पिता है, तुम्हें अपनी पहचान में, ज्ञान और प्रकाश का आत्मा दे। और तुम्हारे मन की आंखें ज्योतिर्मय हों कि तुम जान लो कि उसके बुलाने से कैसी आशा होती है, और पवित्र लोगों में उस की मीरास की महिमा का धन कैसा है। ( इफिसियों 1: 17-18)
जब अय्यूब दुख काट रहा था और शैतान उसे परख रहा था, तब उसने एक बार परमेश्वर पर अपने दोस्तों के सलाह में आके सवाल उठाया l जो बात रोचक और ध्यान देने वाली है वो यह है कि परमेश्वर ने उसके सवाल का जवाब नही दिया बल्कि उसे बस अपने बारे में बताता रहा l अगर आप अय्यूब 38-42 पढ़ेंगे, आप पाएंगे कि परमेश्वर अय्यूब को बताता है कि कैसे उसने पूरी दुनिया की रचना की, और हर उस चीज की जो दुनिया में है, और कैसे वो इस दुनिया को चलाता है l परमेश्वर के साथ अय्यूब के इस मुलाकात के पूर्व ही अय्यूब को जो उसने गवाया था उसका कई गुना वापस मिला l परमेश्वर के वजूद का ज्ञान ही है जो अपको किसी भी कठिन परिस्थिति से बाहर निकाल सकता है l
जितना ज्यादा आप परमेश्वर के वजूद के ज्ञान में बढ़ते हैं, उतना ज्यादा आपका विश्वास बढ़ता है, क्योंकि विश्वास उसके वचन के ज्ञान से आता है l डर आपके जीवन से निकल जाता है, और इसलिए शैतान को आपके जीवन में प्रवेश करने की जगह नहीं मिलती l याद करिए अय्यूब ने कहा था, “क्योंकि जिस डरावनी बात से मैं डरता हूँ, वही मुझ पर आ पड़ती है, और जिस बात से मैं भय खाता हूँ वही मुझ पर आ जाती है।” ( अय्यूब 3:25)
हो सकता है आप सोचते हो कि आप परमेश्वर से प्रेम करते हैं, पर आप कभी भी पूरी तरह से उसके प्रेम में भरकर जी नही सकते जब तक आप उसके वजूद के ज्ञान में परिपूर्ण न हों l यह उसके वजूद के ज्ञान में है कि आप उसके अनुग्रह, प्रेम और आजादी को पाते है उसकी सेवा करने के लिए और उसके साथ और उसके लिए जीवन जीने के लिए l
ऐसे बहुत से लोग है जो येशु के नाम में प्रार्थना करते है, पर उनकी प्रार्थना कभी काम नहीं करती, ऐसा इसलिए है क्योंकि वे प्रभु येशु को नही जानते और न ही उसकी प्रभुत्व के ज्ञान में बढ़े हैं l वे उसके नाम के सामर्थ के ज्ञान को भी नहीं जानते l ठिक उन यहूदी तांत्रिक की तरह जिन्होंने येशु के नाम का इस्तेमाल कर के दुष्ट आत्मा को भगाने की कोशिश की और दुष्ट आत्मा ने उन्हें जवाब दिया: “पर दुष्टात्मा ने उत्तर दिया, कि यीशु को मैं जानती हूं, और पौलुस को भी पहचानती हूं; परन्तु तुम कौन हो?
और उस मनुष्य ने जिस में दुष्ट आत्मा थी; उन पर लपक कर, और उन्हें वश में लाकर, उन पर ऐसा उपद्रव किया, कि वे नंगे और घायल होकर उस घर से निकल भागे।” (प्रेरितों के कार्य 19:15-16). यह कितना दुखद है l
एक परमेश्वर की संतान होने के नाते, यह जरूरी है कि आपका जीवन एक भुगतने की दास्तान न हो, बल्कि विजय की एक उत्तम कहानी हो l समय बिताइए उसके वजूद के ज्ञान में बढ़ने के लिए, उसे और ज्यादा और करीब से जानने के लिए l वह अलफा और ओमिगा, पहिला और पिछला, आदि और अन्त है ( प्रकाशित वाक्य 22:13) l
प्रार्थना:
अमूल्य स्वर्गीय पिता, मैं आपका धन्यवाद करता हूं , आपके प्रेम के लिए l पिता, मैं आपको और गहराई से जानना चाहता हूं, अपने आप को मुझ पर उजागर करें, ताकि मैं उस योजना और उद्देश्य को जान पाऊं और उसमें जी पाऊं जो आपने मेरे लिए तैयार की है, मसीह येशु में, और मैं आपके नाम को महिमा देने पाऊं सदा के लिए, येशु के नाम में। आमीन l