क्योंकि रूपये से प्रेम सब प्रकार की बुराइयों की जड़ है, जिसे प्राप्त करने का प्रयत्न करते हुए कितनों ने विश्वास से भटक कर अपने आप को नाना प्रकार के दुखों से छलनी बना लिया है। (1 तीमुथियुस 6:10)
बहुत लोग यह बहाना बनाते हैं, “मेरे पास पैसे ही नहीं होते इसलिए मैं दे नही पाता”; वो कहते हैं, “जिस दिन मेरे पास बड़ा कुछ होगा उस दिन मैं बड़ा दूंगा”। ऐसे लोग परमेश्वर के लिए और दूसरों के लिए कभी बड़ा नहीं कर सकते। क्योंकि पैसे से प्रेम उनके स्वाभाव में है। छोटा या बड़ा जो भी उनके पास है उसके लिए वो अपने स्वाभाव के अनुसार ही उससे चिपके रहते हैं। उनके जैसे मत बनिए जिनका यह स्वभाव है। जो भी आपके पास है उससे ही एक देने वाले बनिए।
जब आपके पास ज्यादा धन होगा, आप वही ज्यादा तौर पर करेंगे जो आप कम धन में करते थे। अगर आपकी इच्छा एक बड़े घर की थी, आप सीधा बड़े बड़े घर बनाएँगे, और भी घर बनाते जाएँगे। अगर आपको गाड़ियाँ पसंद थी तो आप और कीमती गाड़ियाँ लेंगे। अगर आप पहले एक बच्चे का ख्याल रखते थे, अब आप और बच्चों का ख्याल रखेंगे। अगर आप अपने सामाज के बीमारों की सेवा करते थे, जब आपके पास और धन होगा आप हॉस्पिटल बनाएंगे।
अगर आप तब स्वार्थी थे जब आपके पास कम था, आप तब भी स्वार्थी ही रहेंगे जब आपके पास ज्यादा होगा, बस दुसरे आपके स्वार्थ को और अच्छी तरह देख पाएंगे।
यह ऐसा ही है; पैसा स्वाभाव को बढ़ावा देता है। वह स्वाभाव को बनता या बदलता नही है। इसलिए सही स्वाभाव को अपने अन्दर रखने का चुनाव कीजिए। पैसे से प्रेम मत कीजिए वरना आप कभी बड़े नही बन पाएँगे।
घोषणा
मैं पैसे को प्रेम करने वाला बनने से इनकार करता हूँ, पर मैं एक देने वाला बनना चुनता हूँ। मेरे देने के स्वाभाव को और बढ़ावा मिलता है जैसे मैं अपने धन में बढ़ता हूँ। और जैसे मैं देता हूँ, मैं और ज्यादा बढ़ता जाता हूँ, यीशु के नाम में। आमीन!