मैं दाखलता हूँ: तुम डालियाँ हो; जो मुझ में बना रहता है, और मैं उसमें, वह बहुत फल फलता है, क्योंकि मुझ से अलग होकर तुम कुछ भी नहीं कर सकते। (यूहन्ना 15:5)
जब यीशु कहता हैं कि वे दाखलता हैं और हम शाखाएं हैं, तो वे कह रहा हैं कि हम उसके एक्सटेंशन, उसकी सुन्दरता और उसकी महिमा हैं। यदि आप उसमें बने रहेंगे तो आप सदैव फलवंत रहेंगे। कई लोगों के साथ समस्या यह है कि वे वास्तव में उसमें बने नहीं रहते, और इस प्रकार फलवंत होने में असफल हो जाते हैं।
उसमें बने रहने का अर्थ है, उसके वचन में और उसके अनुसार, अपना जीवन जीना। इसका मतलब है कि आप उसके योग्य चलते हैं और सब बातों में उसे प्रसन्न करते हैं। ताकि, जब लोग आपसे मिलें या आपकी बात सुनें, तो वे परमेश्वर की भलाई, अनुग्रह, महानता और प्रेम की गवाही दे सकें।
ऐसे लोग भी हैं जो अपनी परियोजनाओं या विचारों को कभी पूरा नहीं कर पाते या समाप्त नहीं कर पाते। ऐसा इसलिए है क्योंकि वे सचमुच फलवंत दाखलता, अर्थात् यीशु मसीह में बने नहीं रहते। परन्तु आपकी कहानी अलग है, आप उसमें हैं, एक फलवंत शाखा हैं। आप जो कुछ भी करते हैं, परमेश्वर की आत्मा उसे फलित करने के लिए आप में कार्य करती है। अपने बारे में हमेशा इस बात की घोषणा करते रहे। जब आप प्रभु के साथ उसके वचन के प्रकाश में चलेंगे, तो आपके लिए कोई सूखा मौसम नहीं होगा। आप हर मौसम में और हर समय फल देंगे।
घोषणा:
मैं यीशु मसीह में बना रहता हूँ, और मैं जो कुछ भी करता हूँ उसमें फलवंत और उत्पादक होता हूँ। मैं परमेश्वर का एक्सटेंशन, सुंदरता और महिमा हूँ। इसलिए मैं जो कुछ भी करता हूँ वह यीशु के नाम में समृद्ध होता है। मैं अपने विश्वास के प्रति प्रतिबद्ध हर चीज़ को पूरा करने और उसे पूर्णता तक लाने में कभी असफल नहीं होता। हल्लेलुयाह!