क्या मैं ने तुझे आदेश नहीं दिया? मजबूत और साहसी बन जा। भयभीत और निराश न हो; क्योंकि जहां जहां तू जाएगा वहां वहां तेरा परमेश्वर तेरे संग रहेगा। (यहोशू 1: 9)

विजेता वो हैं जो जीतना चुनते हैं। चाहे आपको एहसास हो या नहीं, अगर आपने जीत को नहीं चुना है,  आप ने वास्तव में हार को चुन लिया है। विजेताओं के पास निराशा, असफलता या भय के लिए कोई जगह नहीं होती है। वे न हार मानते हैं और न पीछे हटते हैं; चाहे कुछ भी हो!

परमेश्वर ने जब यहोशू को चुना, तो उसने कहा, “मजबूत और साहसी बन जा। भयभीत और निराश न हो”। परमेश्वर ने उसको ऐसा क्यों कहा, क्योंकि जीत के रास्ते में चुनौतियां होती ही हैं। चुनौतियां बढ़ावा देने के लिए एक सीढ़ी हैं। चुनौतियां विश्वास के प्रदर्शन और जीतने का समय है।

एक आदमी एक व्हीलचेयर में था और चल नहीं सकता था। तो एक पास्टर ने उसके लिए प्रार्थना की। वह तुरंत व्हीलचेयर से नहीं उठा था। तो पास्टर ने उसे उसके शरीर के किसी भी हिस्से को हिलाने के लिए कहा। आदमी ने अपनी एक उंगली हिला दी। पास्टर ने कहा ” परमेश्वर की स्तुति हो, आप चंगे हो गये हैं”। और वह दूसरों के लिए प्रार्थना करने के लिए आगे चले गये। आदमी अभी भी व्हीलचेयर में था। लेकिन वह अपनी उंगली हिलाता रहा, फिर 2 उंगलियाँ हिली, फिर उसका हाथ हिला, फिर दोनों हाथ, फिर उसके हाथ ऊपर उठ गये, फिर उसके हाथ उठे रहे जब तक की न उसके पैर भी हिलने लगे और आखिर में वह उठा और चलने लगा। अगर वह केवल एक उंगली के हिलने से निराश हो जाता, तो वह कभी चल न पाता।

जीतना एक निर्णय है। अगर आप जीत का चुनाव करते हैं और हार नहीं मानते है, तो आपको कोई रोक नहीं सकता है। परमेश्वर की महिमा हो!

घोषणा:
मैं एक विजेता हूँ। मैं हर समय जीतता हूँ, क्योंकि मैंने जीत को चुना है । मैं निराश या भयभीत होने से इंकार करता हूँ। मैं मजबूत और साहसी हूँ और कुछ भी, मुझे नहीं रोक सकता, यीशु के नाम में। आमीन!

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