हर एक पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश, और समझाने, और सुधारने, और सत्यनिष्ठा की शिक्षा के लिये लाभदायक है। ताकि परमेश्वर का जन सिद्ध बने, और हर एक भले काम के लिये तत्पर हो जाए। (2 तीमुथियुस 3:16-17)

बहुत लोगों में यह गलत धारणा होती है कि उन्हें शास्त्रवचन पढने की ज़रूरत है परेशानियों से निपटने के लिए। वे सोचते हैं, उन्हें शास्त्रवचन पढने की और याद करने की ज़रूरत है, ताकि जब वह किसी परेशानी में पड़े, तब वे वचन का इस्तेमाल कर सकें उससे बाहर निकलने के लिए। पर यह कारण नही है कि आपको शास्त्रवचन पढना चाहिए।

शास्त्रवचन आपको परमेश्वर की सोच बताते हैं, और वह वचन की मिनिस्ट्री को आपके पास लेकर आते हैं, ताकि जब वह मिनिस्ट्री आपकी आत्मा में कार्य करे, आपको आपकी आत्मा में परमेश्वर के वचन की समझ मिले; मतलब आप उसकी इच्छा और मकसद को समझ सकें, तब आप परमेश्वर की बुद्धिमता में चल पाएँगे।

यह बुद्धिमता हर परेशानी से निपट लेगी, परमेश्वर की आत्मा के निर्देशानुसार। आपको इसी की ज़रूरत है; आपको, एक के बाद एक, परेशानी से निपटने की ज़रूरत नही है। आपको वचन को अपनी आत्मा में लाने की ज़रूरत है। वह आपकी आत्मा को बलवंत करेगा, और आपको दिशा देगा, तो आप हर प्रकार की परेशानियों से निपट पाएँगे, एक ही तरीके से। क्योंकि हर एक परेशानी एक ही है; वे सिर्फ अलग अलग तरीके से सामने आती हैं, पर असल में वे सब एक ही हैं। वे सब शैतान से उपजती हैं। आपको आपकी आत्मा में परमेश्वर के वचन की ज़रूरत है जो आपको हर बातों के लिए बुद्धिमता देगा।

अगर आप शास्त्रवचन को इसलिए पढ़ रहे थे ताकि आप अपनी कई परेशानियों से छुटकारा पा सकें, तो आप अब अपना मकसद बदलिए, इसलिए पढ़िए की आप अपना दिमाग बदल सकें और मसीह का दिमाग अपना सकें; और वह बुद्धिमता जो आपके द्वारा प्रदर्शित होगी, आपके जीवन के हर एक क्षेत्र को अपने आप ही बदल देगी। आप किसी भी परेशानी का समाधान करने में नही जूझेंगे।

प्रशंसा:
प्रिय पिता, आपका वचन मेरी ज्योति और मेरा कवच है! आपके वचन में बुद्धिमता की सम्पूर्णता प्रकट होती है। मैं हमेशा आपका आभारी रहूँगा, वचन का तोहफा मेरी ज़िन्दगी में लाने के लिए। परमेश्वर की महिमा हो!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *