जो थोड़े से थोड़े में सच्चा है, वह बहुत में भी सच्चा है: और जो थोड़े से थोड़े में अधर्मी है, वह बहुत में भी अधर्मी है। (लूका 16:10)
हमारा परमेश्वर प्रेममय है और उसकी विश्वसनीयता सदा बनी रहती है। उसकी संतान होने के नाते, उसके प्रति हमारी अटूट विश्वसनीयता अत्यंत महत्वपूर्ण है।
विश्वसनीय होने का अर्थ है परमेश्वर के निर्देश, अगुवाई और बुलाहट के प्रति “हाँ” कहना, बिना विचलित हुए और ,किसी व्यक्तिगत एजेंडे के अनुरूप उसकी आज्ञा को तोड़ने-मरोड़ने की कोशिश किए बिना। विश्वसनीय होने के लिए आपको इस तथ्य को पूरी तरह से स्वीकार कर लेना चाहिए कि परमेश्वर आपसे सचमुच प्रेम करता है, इतना अधिक, कि उसने आपको अपने साथ एक बना लिया है। जो कुछ भी आपके लिए मायने रखता है, वह उसके लिए भी मायने रखता है। आप उससे अलग होकर या एक तरफ होकर कार्य नहीं कर सकते।
आपकी विश्वसनीयता ही आपके अगले स्तर की चाबी है। हमारा मुख्य वर्स, हमें यह आत्मिक सिद्धांत दिखाता है। प्रभु ने जो कुछ आपके हाथों में सौंपा है, उसके प्रति विश्वसनीय बने रहना चुनें। जैसे आप उन बातों में विश्वसनीय बने रहेंगे जिन्हें परमेश्वर ने अभी आपके भरोसे पर सौंपा है, वह आपको और अधिक बढ़ाएगा, और वह आपके हाथों से और भी बड़े काम पूरे करेगा।
कभी भी छोटी शुरुआतों को तुच्छ न समझें, क्योंकि जो आज “छोटी” लगती है, उसके प्रति आपकी विश्वसनीयता ही आपको अगले स्तर पर ले जाएगी। आपकी विश्वसनीयता मायने रखती है!
प्रार्थना:
अनमोल पिता, मेरे विश्वसनीय परमेश्वर होने के लिए धन्यवाद। मैं आपकी विश्वसनीय संतान हूँ। जैसे मैं उन बातों के प्रति विश्वसनीय रहता हूँ जो आपने मुझे सौंपी हैं, मैं बढ़ता हूँ और अपने जीवन में बड़ी उपलब्धियाँ हासिल करता हूँ, और उसके महान नाम को महिमा देता हूँ। आमीन!