तू अपनी समझ का सहारा न लेना, वरन सम्पूर्ण मन से यहोवा पर भरोसा रखना। (नीतिवचन 3:5)
कई मसीह लोग परमेश्वर की उपस्थिति को परिभाषित करने के लिए अपनी भावनाओं पर निर्भर रहते हैं। जबकि, सच तो यह है कि भावनाएं भरोसेमंद नहीं होतीं। भावनाएँ पूरी तरह से मानवीय अनुभव पर, आधारित मानवीय सोच का निर्माण हैं। वे आत्मा के तत्व नहीं हैं।
भावनाओं पर निर्भरता ने कई लोगों का विश्वास नष्ट कर दिया है। परमेश्वर भावनाओं से काम नहीं करता। जब आप परमेश्वर की सामर्थ या उपस्थिति को महसूस करते हैं, तो यह अच्छा है, लेकिन परमेश्वर नहीं चाहता कि आप ऐसा कुछ भी महसूस करें और फिर आप मानें कि वह आपके साथ है और आपके अन्दर है। आपने अपने शरीर, हाथ या सिर आदि, में कुछ भी महसूस नहीं किया, इसका मतलब यह नहीं है कि उसकी सामर्थ उपलब्ध नहीं है या वह आपके साथ नहीं है। आपको यह समझना होगा कि पवित्र आत्मा की सम्पूर्णता और परिपूर्णता आप में निवास करती है। चाहे आप इसे महसूस करें या नहीं, यह सत्य अपरिवर्तित रहता है।
अपने मन में इस सत्य के बारे में दृढ़ निश्चय कर लें और तब आप पवित्र आत्मा की सामर्थ से अपने जीवन में ऊंची उड़ान भरेंगे। केवल परमेश्वर की आत्मा पर निर्भर रहें, अपनी भावनाओं पर नहीं।
घोषणा:
मैं जो महसूस करता हूँ उससे प्रेरित नहीं होता, मैं केवल पवित्र आत्मा और परमेश्वर के वचन से प्रेरित होता हूँ। परमेश्वर की सामर्थ मुझमें और मेरे माध्यम से काम करती है, और मैं अपनी भावनाओं के माध्यम से इसकी गणना करने से इनकार करता हूँ। मैं विश्वास में दृढ़ हूँ और यीशु मसीह के सुसमाचार के लिए अपने संसार में अत्यधिक प्रभाव डाल रहा हूँ। हल्लेलुयाह!