…दुसरे हाथ पर, खुद को अनुशासित करो इश्वरियता के उद्देश्य से (1 तीमुथियुस 4:7 एन ऐ एस बी )
अनुशासन आपको बड़ी उपलब्धियाँ बहुत कम प्रयासों में हासिल करने में मदत करता है। अनुशासन का मतलब है खुद को बांधना और विवश करना निर्धारित सिद्धांतों और तरीकों पर चलने के लिए और हर एक इच्छा और चाहत को मिटा देना जो इस निर्धारित सिद्धांत के बाहर हो। परमेश्वर की संतान होने के नाते यह बहुत ज़रूरी है कि हम अनुशासन के पीछे के आत्मिक तर्कों को समझे। परमेश्वर ने रात और दिन बनाये, ठंड और गर्मी बनायीं और कई दुसरे समय के चक्र बनाये। ये सभी प्राकृतिक चक्र एक निश्चित पैटर्न के अनुसार काम करते हैं। रोमियो 1:20 हमें दिखाता है कि हम प्रकृति से बहुत कुछ सीख सकते हैं। प्रकृति अपने रचियता के बारे में अनुशासन की एक महान मिसाल की गवाही देती है। जब आप मौसम में बदलाव और दुनिया में हो रहे अलग अलग वाकयों को भी देखते हैं, तो आप पाएँगे कि ये सब शास्त्रों में दी गयी भविष्यवानियों के अनुशासन में ही हो रही हैं।
परमेश्वर की राजसीयता में यह उसे भाता है कि वह कुछ एलान करे और फिर उसे पूरा करे। वह सिर्फ चीजें यूँ ही नही करता। वह अपने तरीकों को रखता है और अपनी योजनाओं के अनुसार करता है। जब उसने अनंत जीवन का वादा किया, और मनुष्य को बनाने का निश्चय किया, भले ही वह जानता था कि मनुष्य पाप कर सकता है, फिर भी उसने मनुष्य को बनाया। क्योंकि वह अपनी इस रचना को यीशु मसीह के द्वारा सिद्ध करने में सक्षम था। हर बार जब आप कोई योजना, तरीका या आर्डर बनाते हैं और उस पर चलते हैं बिना विरोध की परवाह किये, आप परमेश्वर द्वारा मसीह यीशु में आपको दिए विजय का अभ्यास कर रहे होते हैं।
वह नही चाहता कि चीजें बस आपके साथ हो जाएँ। कुछ लोग प्रार्थना करते हैं की उनके साथ अच्छी चीजें हों, यह एक बचकाना रवैया है। परमेश्वर चाहता है कि आप उन सभी अच्छी चीजों के रचियता हों, जो कभी भी आपके जीवन में होती हैं। उसने आपको इसके लिए ज़रूरी औज़ार दिए हैं। उसका वचन, उसके तरीके, उसके अभिषिक्त जन, और उसके ईश्वरीय प्रभाव आपके जीवन में डाले गये है ताकि आप उनका इस्तेमाल करके अपने जीवन के हर पहलु के लिए अनुशासन का निर्माण कर सकें। एक अनुशासित जीवन जीना आपके अंदर राज करने और दूसरों को पराजित करने की हर क्षमता को सिद्ध करता है। हर बार जब आप कोई योजना बनाते हैं, स्वर्ग की हर शक्ति सतर्क हो जाती है उसे एक सफलता बनाने के लिए, पर जब एक व्यक्ति अपने योजना के अनुसार चलने में नाकाम हो जाता है, वह आत्मिक बल को अव्यवस्थित कर देता है और उसे सब कुछ अपनी मानव क्षमता से ही करना पड़ता है।
परमेश्वर अपने लोगों को हर सुबह ताज़ा मन्ना दिया करता था। आपके लिए भी हर दिन एक वचन है, हर दिन अनुग्रह का एक हिस्सा है, एक बढ़ोतरी है और एक काम का हिस्सा है जो पवित्र आत्मा आप से करने की उम्मीद करती है ताकि वह उसे आशीषित कर सके। जीवन में अनुशासनहीन होना कभी-कभी बहुत महंगा पड़ सकता है। बहुत लोग अपने जीवन में बेवजह बहुत कुछ खो देते हैं क्योंकि वे अपने जीवन में अनुशासित होने से चुक गये है। परमेश्वर का धन्यवाद हो, कि उसने आपको इस आत्मिक सच्चाई से वंचित नही रखा है।
प्रशंसा:
मेरे पिता मैं आप से प्रेम करता हूँ, और मैं धन्यवाद करता हूँ कि मेरे अंदर आपके अनुशासन का स्वभाव है। जैसे मैं अनुशासन में चलता हूँ अपनी आत्मिक राजसीयता दर्शाते हुए, मैं हर एक दिन और ज्यादा जीतता जाता हूँ, मेरे जीवन में। धन्यवाद की मेरा जीवन दुनिया की निराशाओं से खाली है। पिता आप ने मुझे मेरी कल्पना से कई ज्यादा दिया है! आप बहुत महान हैं!