…यदि तुम्हारा विश्वास राई के दाने के बराबर भी हो, तो इस पहाड़ से कह सकोगे कि यहां से हटकर वहां चला जा, तो वह चला जाएगा; और कोई बात तुम्हारे लिये अनहोनी न होगी। (मत्ती 17:20)
आप अपने जीवन में जो कुछ भी अनुभव करते हैं उसके लिए परमेश्वर जिम्मेदार नहीं है, आप स्वयं अपने जीवन और उसकी परिस्थितियों के लिए जिम्मेदार हैं। यह आपके विश्वास और आप इसका उपयोग कैसे करते हैं, इस पर निर्भर करता है।
प्रभु यीशु ने हमारे मुख्य वर्स में कहा, “…तुम्हारे लिये कुछ भी असंभव नहीं होगा।” यह एक संप्रभु घोषणा है; इसलिए, सवाल यह है कि आप अपने विश्वास के साथ क्या कर रहे हैं? आप अपने विश्वास को कैसे काम में ला रहे हैं?
बाइबल कहती है, “अब सत्यनिष्ठ जन विश्वास से जीवित रहेगा…” (इब्रानियों 10:38)। आपको परमेश्वर के वचन के माध्यम से अपने विश्वास को खिला कर भरने की आवश्यकता है। परमेश्वर का वचन ही आपके विश्वास को बढ़ाने के लिए एकमात्र सामग्री है; रोमियों 10:17 कहता है: “ सो विश्वास सुनने से और सुनना परमेश्वर के वचन से होता है।”
अपना विश्वास बढ़ाएं और अपने जीवन की परिस्थितियों को नियंत्रित करने के लिए अपने विश्वास का उपयोग करें। आपने जो भी कष्ट सहा है, जो मसीह के सुसमाचार में दिए गए प्रावधानों के अनुरूप नहीं है, वह परमेश्वर की ओर से नहीं आया है। ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि आपने अपने जीवन और उसकी परिस्थितियों को नियंत्रित करने के लिए अपने विश्वास का उपयोग नहीं किया। आज ही अपने विश्वास का उपयोग करने का चुनाव करें, तथा सदैव हमारे प्रभु यीशु मसीह के महिमामय सुसमाचार के प्रावधानों के अनुसार चलने का चुनाव करें।
प्रार्थना:
प्रिय पिता, मैं आपको धन्यवाद देता हूँ मुझे विश्वास का उपहार देने के लिए। मैं परमेश्वर के वचन के ज्ञान के माध्यम से अपने विश्वास में लगातार वृद्धि करता हूँ।। मेरा विश्वास प्रभावशाली है, जो मेरे जीवन की परिस्थितियों को बदलने के लिए महान शक्ति उपलब्ध कराता है, तथा उसे मसीह की आज्ञाकारिता में लाता है, यीशु के महान नाम में। आमीन!