क्योंकि मैं तुम से सच कहता हूं, कि जो कोई इस पहाड़ से कहे, कि उखड़ जा, और समुद्र में जा पड़, और अपने मन में सन्देह न करे, वरन प्रतीति करे, कि जो मैं कहता हूं, वह हो जाएगा, तो जो कुछ वह कहता है, वह उसके लिये होगा। (मरकुस 11:23)

हमारे विश्वास की मांग के संबंध में, परमेश्वर के वचन की अंगीकार करना, सबसे महत्वपूर्ण विश्वास के कार्यों में से एक है। अपने जीवन के विषय में परमेश्वर के वादों को स्वीकार करना, उसे अपना बनाना, अपने विश्वास को कार्यों द्वारा समर्थित करना है।

जब हम परमेश्वर के वचन की अंगीकार करने की बात करते हैं, तो कुछ लोग आश्चर्य करते हैं, “क्या मुझे सचमुच में इसे बोलने की ज़रूरत है?” हाँ! यह राज्य का एक सिद्धांत है जो उद्धार के लिए काम करता है और इसलिए, बाकी सब चीज़ों के लिए भी (संदर्भ: रोमियों 10: 9-10)।

उदाहरण के लिए, यदि आप अपने शरीर में किसी बीमारी से जूझ रहे हैं और आपने उसके चंगाई पर विश्वास किया है। आपको अपने शरीर के विषय में परमेश्वर का वचन पकड़ना चाहिए और उसे स्वयं घोषित करना चाहिए। आपको घोषित करना होगा: “मैं परमेश्वर से जन्मां हूँ।वही आत्मा जिसने यीशु को मरे हुओं में से जिलाया था, मुझमें रहती है, और वह मेरे शरीर को जीवंत करती है। मैं बीमार होने से इंकार करता हूँ। मैं शक्तिशाली हूँ, मैं दिव्य स्वास्थ्य से भरा हुआ हूँ। मेरे शरीर की हर एक कोशिका ज़ोए से भरी हुई है”! इस प्रतिज्ञान से आपका शरीर आपके अंदर मसीह की वास्तविकता के साथ संरेखित हो जाएगा, और आप उस बीमारी से बाहर निकल जायेंगे। हल्लेलुयाह

चिंता करने या रोने से इंकार करें। परमेश्वर के वचन की घोषणा करते रहें। आपके विश्वास की घोषणाएं वास्तविकताएं उत्पन्न करती हैं। डगमगायें नहीं ; विश्वास में दृढ़ रहें, और प्रभु को धन्यवाद दें, और जो कुछ आप कहेंगे, वह आपको मिलेगा!

प्रार्थना:
अनमोल पिता, मैं आपका धन्यवाद करता हूँ शब्दों की सामर्थ के लिए। मैं अपने जीवन की हर परिस्थिति में परमेश्वर के वचन की पुष्टि करता हूँ। मेरा जीवन परमेश्वर की भलाई और महिमा की गवाहियों की एक धारा है। मेरा विश्वास परिणाम उत्पन्न कर रहा है, यीशु के महान नाम में। आमीन!

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