अपने विश्वास को खिंच कर लंबा करे
पर हे प्रियोंतुम अपने अति पवित्र विश्वास में अपनी उन्नति करते हुए और पवित्र आत्मा में प्रार्थना करते रहो। (यहूदा 1:20) विश्वास अनदेखी वस्तुओं का प्रमाण है| यह आशा और संभावनाओं का क्षेत्र नही है| विश्वास ऐसा होना है कि आप उस पॉइंट पर आ गये हैं जहाँ जिन चीजों के लिए आप प्रार्थना कर […]
स्मारक बनाएँ
फिर परमेश्वर ने उन से कहा, सुनो, जितने बीज वाले छोटे छोटे पेड़ सारी पृथ्वी के ऊपर हैं और जितने वृक्षों में बीज वाले फल होते हैं। (उत्पत्ति 1:29A) पृथ्वी पर रहते हुए यीशु ने जो अदभुत कथन दिया था, उनमें से एक था, कि हम वो नहीं हैं जिन्होंने उसे चुना है, बल्कि, उसने […]
विश्वास का कार्य: धन्यवाद देने की भेंट
और उनमें से धन्यवाद और आनंद करने वालों का शब्द सुनाई देगा; मैं उन्हें बढ़ाऊंगा और वे घटेंगे नहीं; मैं उन्हें महिमा दूंगा और वे थोड़े न होंगे (यिर्मयाह 30:19)। सच्ची मसीहत परमेश्वर के वचन पर विश्वास करके जीना है, जहाँ आप हमेशा परमेश्वर के प्रति आभारी रहते हैं और उसे महिमा देते हैं। इसलिए, […]
विश्वास का कार्य: धन्यवाद देना
इसलिये मैं तुम से कहता हूं, कि जो कुछ तुम प्रार्थना करके मांगते हो, तो प्रतीति कर लो कि तुम्हें मिल गया, और वह तुम्हारे लिये हो जाएगा। (मरकुस 11:24) जब हम किसी मामले या परिस्थिति पर अपना विश्वास लगाते हैं तो सबसे पहले हम प्रार्थना करते हैं।जैसे हम इसके लिए प्रार्थना करते हैं, हम […]
विश्वास का कार्य: निर्देशों का पालन करें
…हे यहूदा, और हे यरूशलेम के निवासियो, मेरी सुनो; अपने परमेश्वर यहोवा पर विश्वास रखो, तब तुम स्थिर रहोगे; उसके नबियों की प्रतीति करो, तब तुम समृद्ध होगे। (2 इतिहास 20:20) 2 राजा 5 में हम नामान के बारे में पढ़ते हैं, जो सीरिया के राजा की सेना का सेनापति था, वह एक महान व्यक्ति […]
विश्वास का कार्य: वचन को खोदें और खोजें
तेरी बातों के खुलने से प्रकाश होता है; और वह भोले लोगों को समझ प्रदान करता है। (भजन संहिता 119:130) हमने कल सीखा कि परमेश्वर के वचन का अंगीकार एक बहुत ही महत्वपूर्ण विश्वास का कार्य है। लेकिन, यह समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि वचन का अंगीकार करने के लिए, एक व्यक्ति को वचन को […]
विश्वास का कार्य: बोलना!
क्योंकि मैं तुम से सच कहता हूं, कि जो कोई इस पहाड़ से कहे, कि उखड़ जा, और समुद्र में जा पड़, और अपने मन में सन्देह न करे, वरन प्रतीति करे, कि जो मैं कहता हूं, वह हो जाएगा, तो जो कुछ वह कहता है, वह उसके लिये होगा। (मरकुस 11:23) हमारे विश्वास की […]
कार्य के बिना विश्वास मृत है
इसी प्रकार विश्वास भी, यदि उसके साथ कार्य न हो, तो मरा हुआ है। (याकूब 2:17 NIV) आपके विश्वास को सक्रिय और कार्यशील बनाने के लिए, उसके अनुरूप कार्य भी होना चाहिए। जो विश्वास कार्य नहीं करता वह मृत है, और इसलिए वह अप्रभावी है। जब आप किसी विशेष उद्देश्य, इच्छा या चमत्कार के लिए […]
विश्वास राज्य की मुद्रा है
अब और क्या कहूँ क्योंकि समय नहीं रहा, कि गिदोन का, और बाराक और शिमशोन का, और यिफतह का, और दाऊद का और शामुएल का, और भविष्यद्वक्ताओं का वर्णन करूं। इन्होंने विश्वास ही के द्वारा राज्य जीते; सत्यनिष्ठा के काम किए; प्रतिज्ञा की हुई वस्तुएं प्राप्त की, सिंहों के मुंह बन्द किए। (इब्रानियों 11:32-33) परमेश्वर […]
आशा और विश्वास के बीच अंतर
तीन चीज़ें हैं जो स्थाई हैं – विश्वास, आशा और प्रेम – और इनमें सबसे बड़ा है प्रेम। (1 कुरिन्थियों 13:13 TLB) हमारा मुख्य वर्स हमें मसीही जीवन के तीन महत्वपूर्ण सिद्धान्त दिखाता है: आशा, विश्वास और प्रेम। आज हम आशा और विश्वास पर ध्यान केन्द्रित करेंगे। कई बार लोग आशा और विश्वास के बीच […]