पैसे आपके स्वाभाव को बढ़ावा देता है

क्योंकि रूपये से प्रेम सब प्रकार की बुराइयों की जड़ है, जिसे प्राप्त करने का प्रयत्न करते हुए कितनों ने विश्वास से भटक कर अपने आप को नाना प्रकार के दुखों से छलनी बना लिया है। (1 तीमुथियुस 6:10)  बहुत लोग यह बहाना बनाते हैं, “मेरे पास पैसे ही नहीं होते इसलिए मैं दे नही पाता”; वो कहते हैं, […]

अपने देने के द्वारा परमेश्वर का सम्मान कीजिये!

फिर तुम यह भी कहते हो, “ ओह! परमेश्वर की सेवा करना तो बहुत मुश्किल है और वह मानना भी जो वह कहता है”| तुम ने उस भोजनवस्तु के प्रति नाक भौं सिकोड़ी, और अत्याचार से प्राप्त किए हुए और लंगड़े और रोगी पशु की भेंट ले आते हो! क्या मैं ऐसी भेंट तुम्हारे हाथ […]

दिव्य अंतर्दृष्टि की रखवाली करें

क्योंकि जिसके पास है, उसे और दिया जाएगा; और उसके पास बहुत हो जाएगा; परन्तु जिसके पास नहीं है, उससे वह भी जो उसके पास है, ले लिया जाएगा। (मत्ती 13:12) यीशु अपने शिष्यों से बात कर रहा था और जब वह उनसे बातचीत रहा था तो उसने कुछ अद्भुत बातें कहीं। मत्ती 13:11 में; […]

बदलाव की एक दृढ़ चाह रखें

एक सत्यनिष्ठ व्यक्ति की हृदय से की गयी लगातार प्रार्थना बहुत सामर्थ उपलब्ध कराती है जो कार्य में अद्भुद होती है (याकूब 5:16b) परमेश्वर ने हमें इस दुनिया में अपने हाथों की तरह रखा है। उसने हमें यह पूरी दुनिया दी है ताकि हम इस पूरी दुनिया को एक बेहतर जगह बना सकें। परमेश्वर ने […]

खुद को चुनौती देना

इस संसार के सदृश न बनो; परन्तु तुम्हारी बुद्धि के नये हो जाने से तुम्हारा चाल-चलन भी बदलता जाए। तब तुम परमेश्वर- की भली, और भावती, और सिद्ध इच्छा अनुभव से मालूम करते रहोगे। (रोमियों 12:2 NIV) मसीह लोगों को अपने विश्वास के मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए लगातार स्वयं, को चुनौती देने की […]

परमेश्वर के वचन के द्वारा अपने मन पर अधिकार करें!

उस ने उत्तर दिया, कि तू परमेश्वर अपने प्रभु से अपने सारे मन से, और सारे प्राण से, और सारी शक्ति से, और सारी बुद्धि से प्रेम रख; और अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख। (लूका 10:27) किसी व्यक्ति का व्यक्तित्व और चरित्र उस व्यक्ति के प्राण द्वारा नियंत्रित होता है।प्राण शरीर और इन्द्रियों […]

प्रार्थना करते समय अपने मन को भटकने न दें!

जागते और प्रार्थना करते रहो, कि तुम परीक्षा में न पड़ो: आत्मा तो तैयार है, परन्तु शरीर दुर्बल है। (मत्ती 26:41) क्या आप जानते हैं कि ऐसा संभव है कि आप प्रार्थना कर रहे हों और आपका मन कहीं और भटक रहा हो। आपके होठ, हाथ या आंखें प्रार्थना में व्यस्त हो सकते हैं, जबकि […]

सही मानसिकता विकसित करें

मसीह ने हमें स्वतंत्रता के लिये स्वतंत्र किया है; इसलिये दृढ़ रहो, और दासत्व के जूए में फिर से न जुतो। (गलातियों 5:1) मसीह यीशु में हमें; व्यवस्था के, शैतान के, और संसार के,सारे बंधनों से बाहर लाया गया है। उसने हमें ख़ुद में सम्पूर्ण स्वतंत्रता दी है। हालाँकि, कई लोग अभी भी खुद को […]

बच्चों को सही शिक्षा दें : वे भविष्य हैं !

बच्चे को शिक्षा उसी मार्ग की दे जिस में उस को चलना चाहिये, और वह बुढ़ापे में भी उस से नहीं हटेगा। (नीतिवचन 22: 6) आज की दुनिया में लोग, अपने आज को मैनेज करने में इतने व्यस्त है कि वे अपने भविष्य की पीढ़ी –बच्चों- की ओर पूरी तरह से अनजान हैं। बच्चे भविष्य […]

अपनी बोली में अनुग्रही होना सीखें

अपनी बोली में अनुग्रही बनें। लक्ष्य यह है कि आप अपनी बातों के द्वारा दूसरों में सबसे अच्छा बाहर ला सकें, न की उन्हें नीचा दिखाएं और उन्हें अलग काट दें (कुलुस्सियों 4:6) क्या आपने कभी खुद को ऐसी परिस्थिति में पाया है, जहाँ आप किसी से प्रेम रखते हों परन्तु, वे आपके द्वारा किया […]