संसार के प्रति आपका दृष्टिकोण
जैसे मैं संसार का नहीं, वैसे ही वे भी संसार के नहीं। अपने सत्य के द्वारा उन्हें पवित्र कर: तेरा वचन सत्य है। जैसे तू ने मुझे जगत में भेजा है, वैसे ही मैं ने भी उन्हें जगत में भेजा है। (यूहन्ना 17:16-18) एक मसीह के रूप में आप दो स्तर में रहते हैं। एक […]
आपका दृष्टिकोण क्या है?
क्योंकि मसीह का प्रेम हमें विवश कर देता है, इसलिये कि हम निश्चय जानते हैं, कि एक सब के लिये मरा तो सब मर गए। और वह सब के लिये मरा, ताकि जो जीवित हैं, वे आगे को अपने लिये न जीएं परन्तु उसके लिये जो उनके लिये मरा और फिर जी उठा। (2 कुरिन्थियों […]