दिन 13
यीशु मसीह के सुसमाचार के प्रचार के प्रति आपका दृष्टिकोण क्योंकि यदि मैं सुसमाचार सुनाऊं, तो मुझे कुछ घमण्ड नहीं; क्योंकि यह तो मेरे लिये अवश्य है; और यदि मैं सुसमाचार न सुनाऊं, तो मुझ पर हाय! (1 कुरिन्थियों 9:16) मसीही होने के नाते हम सभी को यीशु मसीह के सुसमाचार के प्रचार के माध्यम […]
आपका दृष्टिकोण क्या है?
क्योंकि मसीह का प्रेम हमें विवश कर देता है, इसलिये कि हम निश्चय जानते हैं, कि एक सब के लिये मरा तो सब मर गए। और वह सब के लिये मरा, ताकि जो जीवित हैं, वे आगे को अपने लिये न जीएं परन्तु उसके लिये जो उनके लिये मरा और फिर जी उठा। (2 कुरिन्थियों […]
यीशु का पुनरुत्थान और हमारा अनंत जीवन
सो उस मृत्यु का बपतिस्मा पाने से हम उसके साथ गाड़े गए, ताकि जैसे मसीह पिता की महिमा के द्वारा मरे हुओं में से जिलाया गया, वैसे ही हम भी नए जीवन की सी चाल चलें। (रोमियों 6:4) यीशु मसीह के पुनरुत्थान ने हमे अनंत जीवन दिया है। जब आदम ने परमेश्वर के खिलाफ पाप […]
आपकी धारणा और आपका उद्धार
पर जो कोई मनुष्यों के साम्हने मेरा इन्कार करेगा उस से मैं भी अपने स्वर्गीय पिता के साम्हने इन्कार करूंगा। (मत्ती 10:33) ऊपर दिए वचन में यीशु ने दिखाया है कैसे हमारी उसके प्रति धारणा, स्वर्ग में हमारे स्थान को निर्धारित करेगी। उसने कहा,“पर जो कोई मनुष्यों के साम्हने मेरा इन्कार करेगा उस से मैं […]