आपकी बोली दिव्य होनी चाहिए
जब मैं बालक था, तो मैं बालकों की नाईं बोलता था, बालकों का सा मन था बालकों की सी समझ थी; परन्तु सियाना हो गया, तो बालकों की बातें छोड़ दी। (1 कुरिन्थियों 13:11) परमेश्वर की संतान होने के नाते आपकी भाषा और शब्दों का चुनाव सदैव ईश्वरीय होना चाहिए। आप अपनी भाषा इस संसार […]