परमेश्वर के भवन में आपकी सेवा

इन बातों के बाद प्रभु ने सत्तर और मनुष्य नियुक्त किए और जिस जिस नगर और जगह को वह आप जाने पर था, वहां उन्हें दो दो करके अपने आगे भेजा। और उस ने उन से कहा; “कटाई तो बहुत है; परन्तु मजदूर थोड़े हैं: इसलिये खेत के स्वामी से बिनती करो, कि वह अपने […]

यीशु के प्रति आपका प्रेम सबसे अधिक मायने रखता है

क्योंकि मसीह का प्रेम हमें विवश करता है, इसलिये कि हम यह समझ चुके हैं कि जब एक सब के लिये मरा तो सब मर गये। और वह सब के लिये मरा ताकि जो जीवित हैं, वे आगे को अपने लिये न जीयें, परन्तु उसके लिये जो उनके लिये मरा और जी उठा। (2 कुरिन्थियों […]