अपने अंदर के दिव्य जीवन से खुद की अलग पहचान बनाएं
अब दानिय्येल ने अपने असाधारण गुणों से प्रशासकों और क्षत्रपों के बीच अपनी अलग पहचान बना ली, इसलिए राजा ने उसे पूरे राज्य पर नियुक्त करने की योजना बनाई। (दानिय्येल 6:3 NIV) ‘अलग पहचान’ का अर्थ है किसी काम को बहुत अच्छे ढंग से या ऐसे तरीके से करना जो विशेष सम्मान का हकदार हो। […]
वही जीवन उसी आत्मा के द्वारा
और यदि उसी का आत्मा जिस ने यीशु को मरे हुओं में से जिलाया तुम में बसा हुआ है; तो जिस ने मसीह को मरे हुओं में से जिलाया, वह तुम्हारी मरनहार देहों को भी अपने आत्मा के द्वारा जो तुम में बसा हुआ है जिलाएगा। (रोमियों 8:11) हम कुछ दिनों से दिव्य जीवन के […]
दिव्य जीवन के विस्तारक और वितरक
मैं दाखलता हूँ, तुम डालियाँ हो…(यूहन्ना 15:5अ) नया जन्म लेने के कारण, आप पृथ्वी पर यीशु मसीह के शारीरिक एक्सटेंशन हैं। इसलिए आप दूसरों के लिए दिव्य जीवन के विस्तारक और वितरक हैं, ठीक हमारे प्रभु, यीशु मसीह के जैसे। इसलिए बाइबिल 1 यूहन्ना 4:17 में एलान करती है कि; “….जैसा वह है, वैसे ही […]
अविनाशी बीज
क्योंकि तुम ने नाशमान नहीं पर अविनाशी बीज से परमेश्वर के जीवते और सदा ठहरने वाले वचन के द्वारा नया जन्म पाया है। (1 पतरस 1:23) एक बीज अपने अंदर जीवन, तत्व और स्वभाव रखता है उस पेड़ और फल का, जो वह बड़ा होकर बनेगा। हमारा मुख्य वर्स कहता है कि आप अविनाशी बीज […]
आपके अंदर दिव्य जीवन है, अभी!
वे न तो लहू से, न शरीर की इच्छा से, न मनुष्य की इच्छा से, परन्तु परमेश्वर से उत्पन्न हुए हैं। (यूहन्ना 1:13) दिव्य जीवन, जो कि परमेश्वर का जीवन है, एक मसीही होने के नाते आप में मौजूद है। यह कोई ऐसी चीज़ नहीं है जिसे आपको खोजना या जिसके लिए प्रार्थना करनी है, […]
अपने दिमाग को दिव्य विचार करने के लिए प्रशिक्षित करें
इसलिये मैं यह कहता हूं, कि आत्मा के अनुसार चलो, तो तुम शरीर की लालसा किसी रीति से पूरी न करोगे। क्योंकि शरीर आत्मा के विरोध में और आत्मा शरीर के विरोध में लालसा करती है, और ये एक दूसरे के विरोधी हैं, इसलिये कि जो तुम करना चाहते हो वह न कर सको। (गलातियों […]
आशीष के शब्द बोलें, श्राप के नहीं!
एक ही मुँह से आशीष और श्राप दोनों निकलते हैं। हे मेरे भाईयों, ऐसा नहीं होना चाहिए। क्या एक ही सोते से मीठा और कड़वा जल निकलता है? (याकूब 3:10-11) हमारा मुख्य वर्स प्रत्येक मसीह के लिए एक चेतावनी है। आपके शब्दों में अपार शक्ति है और आप जो बोलते हैं वह अत्यंत महत्वपूर्ण होता […]
आपकी बोली दिव्य होनी चाहिए
जब मैं बालक था, तो मैं बालकों की नाईं बोलता था, बालकों का सा मन था बालकों की सी समझ थी; परन्तु सियाना हो गया, तो बालकों की बातें छोड़ दी। (1 कुरिन्थियों 13:11) परमेश्वर की संतान होने के नाते आपकी भाषा और शब्दों का चुनाव सदैव ईश्वरीय होना चाहिए। आप अपनी भाषा इस संसार […]
अपना ध्यान ऊपर की चीज़ों पर लगाओ
पृथ्वी पर की नहीं परन्तु स्वर्गीय वस्तुओं पर ध्यान लगाओ। क्योंकि तुम तो मर गए, और तुम्हारा जीवन मसीह के साथ परमेश्वर में छिपा हुआ है। (कुलुस्सियों 3:2-3) परमेश्वर की संतान होने के नाते आप परमेश्वर के राज्य से हैं। इसलिए जीवन में, आपका ध्यान ऊपर की चीज़ों पर होना चाहिए। इसका अर्थ है अपना […]
आप ऊपर से हैं
पृथ्वी पर की नहीं परन्तु स्वर्गीय वस्तुओं पर ध्यान लगाओ। (कुलुस्सियों 3:2) जिस वक्त आपने यीशु को अपने व्यक्तिगत उद्धारकर्ता के रूप में स्वीकार किया, आपका शारीरिक संसारिक जीवन आपसे काट कर अलग कर दिया गया गया और उसके स्थान पर परमेश्वर का अविनाशी और दिव्य जीवन आ गया। बाहरी तौर पर, आप वैसे ही […]