अपने पास्टर का आदर करें!

और उन के काम के कारण प्रेम के साथ उन को बहुत ही आदर के योग्य समझो: आपस में मेल-मिलाप से रहो। (1 थिस्सलुनीकियों 5:13) आपके पास्टर एक उपहार है जिसे परमेश्वर ने आपको दिया है (इफिसियों 4: 8)। आप के ऊपर पास्टर, आपके चुने हुए नहीं है, बल्कि परमेश्वर के चुने हुए है, और […]

प्रभु के राज्य का जीवन

उसी ने हमें अन्धकार के वश से छुड़ाकर अपने प्रिय पुत्र के राज्य में प्रवेश कराया। (कुलुस्सियों 1:13) मसीह में हमें प्रभु के राज्य के जीवन में बुलाया गया है, एक ऐसा जीवन जहाँ हर दिन चमत्कार और अलौकिकता का अंतहीन प्रवाह होता है। जब यीशु पृथ्वी पर था, तो उसने राज्य का जीवन जिया। […]

आत्मा से विचार कीजिये

इसलिए तुम्हारे दुनियाबी स्वभाव को तुम्हारे दिमाग को चलने देना मृत्यु को जन्म देता है। परन्तु आत्मा को तुम्हारे दिमाग को चलाने देना जीवन और शांति को लाता है। (रोमियो 12:2 MNLT) दिमाग हर उस चीज़ के पीछे मुख्य फैकल्टी है जो आप समझते हैं हालाँकि दो चीजों का उस एक दिमाग के ऊपर प्रभाव […]

उसकी सामर्थ वास्तविक है, वहम नहीं

मैं इसी कारण उस पिता के साम्हने घुटने टेकता हूं, जिस से स्वर्ग और पृथ्वी पर, हर एक घराने का नाम रखा जाता है। कि वह अपनी महिमा के धन के अनुसार तुम्हें यह दान दे, कि तुम उसके आत्मा से अपने भीतरी मनुष्य में सामर्थ पाकर बलवन्त होते जाओ (इफिसियों 3:14-16)। हमारे मुख्य वर्स […]

अपने भीतरी मनुष्य को मजबूत बनाये

उसकी आत्मा से अपने भीतरी मनुष्य में सामर्थ पाकर बलवन्त होते जाओ (इफिसियों 3:16) मनुष्य एक आत्मा है और वह शरीर में रहता है। अपने बारे में, अपने भीतर के मनुष्य के बारे में शिक्षित होना बहुत महत्वपूर्ण है। परमेश्वर ही जीवन का स्रोत है, और जब आदम ने पाप किया, तो वह जीवन से […]

खुद को चुनौती देना

इस संसार के सदृश न बनो; परन्तु तुम्हारी बुद्धि के नये हो जाने से तुम्हारा चाल-चलन भी बदलता जाए। तब तुम परमेश्वर- की भली, और भावती, और सिद्ध इच्छा अनुभव से मालूम करते रहोगे। (रोमियों 12:2 NIV) मसीह लोगों को अपने विश्वास के मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए लगातार स्वयं, को चुनौती देने की […]

आपका चुनाव

प्रयत्न करने में आलसी न हो; आत्मिक उन्माद में भरो रहो; प्रभु की सेवा करते रहो। (रोमियों 12:11) चुनाव करने की शक्ति का एहसास होना सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है, जो इस जीवन में प्राप्त की जा सकती है। बहुत से लोग उस आयाम में नहीं रहते, जहां वे जानते हों कि वे […]

आत्मिक परिपक्वता अलौकिकता की चाबी है!

हर एक पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश, और समझाने, और सुधारने, और सत्यनिष्ठा की शिक्षा के लिये लाभदायक है। ताकि परमेश्वर का जन सिद्ध बने, और हर एक भले काम के लिये तत्पर हो जाए। (2 तीमुथियुस 3:16-17) आत्मिक रूप से परिपक्व वे लोग हैं जो आत्मिक वयस्कता तक पहुँच […]

डुनामिस की ओर प्रबुद्ध किया जाना

परन्तु जब पवित्र आत्मा तुम पर आएगा तब तुम सामर्थ पाओगे; और यरूशलेम और सारे यहूदिया और सामरिया में, और पृथ्वी की छोर तक मेरे गवाह होगे (प्रेरितों के काम 1:8)। सामर्थ शब्द का शाब्दिक अर्थ है नियंत्रणकारी प्रभाव, श्रेष्ठता या अधिकार का होना। हालाँकि, हमारे मुख्य वर्स में ‘सामर्थ’ शब्द का गहरा अर्थ है, […]

उसकी सामर्थ आप में काम करती है

और इसी के लिये मैं उस की उस शक्ति के अनुसार जो मुझ में सामर्थ के साथ प्रभाव डालती है तन मन लगाकर परिश्रम भी करता हूं। (कुलुस्सियों 1:29) मसीह यीशु में जो सबसे महिमामय वस्तुएँ हैं, उनमें से एक पवित्र आत्मा है जो हम में वास करती है। परमेश्वर की आत्मा हमारे अंदर अपार […]