और पवित्र शास्त्र का यह वचन पूरा हुआ, कि अब्राहम ने परमेश्वर की प्रतीति की, और यह उसके लिये सत्यनिष्ठा गिना गया, और वह परमेश्वर का मित्र कहलाया। (याकूब 2:23)
अब्राहम और परमेश्वर के प्रति उसका विश्वास अनुकरणीय है। वह एक ऐसा व्यक्ति था जो परमेश्वर की हर आज्ञा को “हाँ” कहता था। यह उसके विश्वास के प्रदर्शन के कारण ही है कि आज हमें अब्राहम का बीज कहा जाता है। यह उसके विश्वास के कारण ही है कि, परमेश्वर ने उसे मित्र कहा।
जब परमेश्वर ने उससे अपना नाम ‘अब्राम’, जिसका अर्थ था माना हुआ पिता, से बदलकर ‘अब्राहम’ से जिसका अर्थ था कई राष्ट्रों का पिता; रखने के लिए कहा, उसे कोई हिचकिचाहट नहीं थी। बाइबिल हमें बताती है कि, प्रभु ने उससे बात की और कहा, “देख, मेरी वाचा तेरे साथ बन्धी रहेगी, इसलिये तू जातियों के समूह का मूलपिता हो जाएगा। सो अब से तेरा नाम अब्राम न रहेगा परन्तु तेरा नाम अब्राहम होगा क्योंकि मैं ने तुझे जातियों के समूह का मूलपिता ठहरा दिया है” (उत्पत्ति 17:4-5)। अब्राहम ने परमेश्वर पर विश्वास किया, और तुरंत अब्राहम नाम यानी “कई राष्ट्रों का पिता”, का उत्तर देना शुरू कर दिया ।
जब परमेश्वर ने उस से इसहाक की बलि चढ़ाने को कहा; उसका इकलौता बेटा जिसे परमेश्वर ने उन्हें बुढ़ापे में आशीष दि, उसने संकोच नहीं किया और इसहाक को बलिदान के लिए ले गया; हालाँकि परमेश्वर ने उसे रोका और उसकी विश्वसनीयता के लिए उसे आशीष दि, और एलान किया “कि मैं अपनी ही यह शपथ खाता हूं, कि तू ने जो यह काम किया है कि अपने पुत्र, वरन अपने एकलौते पुत्र को भी, नहीं रख छोड़ा; इस कारण मैं निश्चय तुझे आशीष दूंगा; और निश्चय तेरे वंश को आकाश के तारागण, और समुद्र के तीर की बालू के किनकों के समान अनगिनित करूंगा, और तेरा वंश अपने शत्रुओं के नगरों का अधिकारी होगा: और पृथ्वी की सारी जातियां अपने को तेरे वंश के कारण धन्य मानेंगी: क्योंकि तू ने मेरी बात मानी है।” (उत्पत्ति 22:14-18)। मसीह में हम इस आशीष की भरपूरी हैं।
अब जबकि हम मसीह में हैं, और अब्राहम के बीज हैं, हमें परमेश्वर और उसके वचन के प्रति अटूट विश्वास प्रदर्शित करना याद रखना चाहिए। हमें हर स्थिति में और हर समय उसकी आज्ञा के प्रति “हाँ” कहने का साहस रखना चाहिए। याद रखें, परमेश्वर को “हाँ” कहने पर आपको कभी भुगतना नहीं पड़ेगा। परमेश्वर आपकी सेवा के बदले हमेशा आपको आपसे बढ़कर ही देगा।
प्रार्थना:
अनमोल पिता, मैं आपको धन्यवाद देता हूं अपने वचन के माध्यम से मुझे विश्वास का पाठ सिखाने के लिए। मैं अटल विश्वास प्रदर्शित करने का संकल्प लेता हूं, मैं जो देखता हूं या सुनता हूं उससे प्रभावित नहीं होता हूं बल्कि मैं केवल परमेश्वर के वचन से प्रभावित होता हूं, यीशु के महान नाम में। आमीन!