आशा और विश्वास के बीच अंतर

तीन चीज़ें हैं जो स्थाई हैं – विश्वास, आशा और प्रेम – और इनमें सबसे बड़ा है प्रेम। (1 कुरिन्थियों 13:13 TLB) हमारा मुख्य वर्स हमें मसीही जीवन के तीन महत्वपूर्ण सिद्धान्त दिखाता है: आशा, विश्वास और प्रेम। आज हम आशा और विश्वास पर ध्यान केन्द्रित करेंगे। कई बार लोग आशा और विश्वास के बीच […]

वचन के प्रति आपके विश्वास की प्रतिक्रिया

“…उसने यह इसलिये कहा है…कि हम भी हियाब के साथ कह सकें…” (इब्रानियों 13:5-6)। परमेश्वर के वचन में आपके भीतर उसके अंदर के संदेश उत्पन्न करने की शक्ति है। उसका वचन कभी खाली नहीं आता; आपको बस इतना करना है कि उसे विश्वास के साथ ग्रहण करें और उसके अनुसार प्रतिक्रिया दें। आपका विश्वास-प्रतिक्रिया वह […]

प्रबल विश्वास

यीशु ने उससे कहा, “यदि तू विश्वास कर सकता है, तो विश्वास करनेवाले के लिये सब कुछ हो सकता है।” (मरकुस 9:23) हमारे मुख्य वर्स में जो ग्रीक शब्द “विश्वास करने” की तरह अनुवादित है वह “pisteuonti” है, जिसका अर्थ है “किसी चीज़ को सत्य के रूप में स्वीकार करना या उसके बारे में पूरी […]

विश्वास हमेशा काम करता है

अब विश्वास आशा की हुई वस्‍तुओं का निश्चय, और अनदेखी वस्‍तुओं का प्रमाण है। (इब्रानियों 11:1) विश्वास अदृश्य वास्तविकताओं का स्वामित्व-पत्र है। विश्वास वह शक्ति है जो चीजों को घटित कराता है। विश्वास हमेशा काम करता है, अगर यह काम नहीं किया तो यह कभी विश्वास नहीं था। कई बार लोग अपनी आशा, धारणा और […]

विश्वास कभी संदेह नहीं करता

मैं तुम से सच कहता हूं कि जो कोई इस पहाड़ से कहे; कि तू उखड़ जा, और समुद्र में जा पड़, और अपने मन में संदेह न करे, वरन प्रतीति करे, कि जो कहता हूं वह हो जाएगा, तो उसके लिये वही होगा। इसलिये मैं तुम से कहता हूं, कि जो कुछ तुम प्रार्थना […]

डर की नहीं विश्वास की बातें बोलें

और हम भी वही विश्वास की आत्मा रखते हैं, जैसा लिखा है, कि मैं ने विश्वास किया, इसलिये बोला; सो हम भी विश्वास करते हैं, इसलिये बोलते हैं। (2 कुरिन्थियों 4:13) कई मसीहों को डर के बारे में बात करने की आदत होती है। कुछ लोगों को विश्वास और डर दोनों की बात एक साथ […]

विश्वास में कोई डर नहीं है

किसी भी बात को लेकर परेशान या चिंतित न हों, लेकिन हर परिस्थिति और हर चीज़ में, प्रार्थना और बिनती (निश्चित अनुरोध) द्वारा, धन्यवाद के साथ अपनी इच्छाएँ परमेश्वर को बताते रहो। (फिलिप्पियों 4:6 AMPC) क्या आप जानते हैं की डर क्या है? भय वास्तव में आपके विरोधी की आपको चोट पहुंचाने की क्षमता पर […]

विश्वास का अर्थ है परमेश्वर को “हाँ” कहना!

विश्वास ही से अब्राहम जब बुलाया गया तो आज्ञा मानकर ऐसी जगह निकल गया जिसे मीरास में लेने वाला था; और यह न जानता था, कि मैं किधर जाता हूँ, परन्तु निकल गया (इब्रानियों 11:8)। हमारे मुख्य वर्स में हम देखते हैं कि कैसे अब्राहम ने परमेश्वर की आज्ञा को “हाँ” कहा, भले ही वह […]

विश्वास का जीवन प्रेम के द्वारा जिया जाता है

क्योंकि [यदि हम] मसीह यीशु में हैं, तो न तो खतना और न ही खतनारहित कुछ मायने रखता है, बल्कि केवल विश्वास सक्रिय और सक्रिय और व्यक्त किया जाता है और प्रेम के माध्यम से काम करता है। (गलातियों 5:6) मसीह में हमें विश्वास के जीवन में बुलाया गया है, और यह विश्वास प्रेम के […]

विश्वास परमेश्वर के वचन पर आधारित होता है!

सो विश्वास सुनने से, और सुनना परमेश्वर के वचन से होता है। (रोमियो 10:17) बहुत से मसीह यह मानते हैं कि हर वो चीज़ जो सुनने में अच्छी, लुभावनी और सकारात्मक लगती है, वह परमेश्वर से होती है। पर यह बिलकुल ज़रूरी नही है।यही वह गलत सोच है जो लोगों को बेमतलब के संघर्ष में […]