आपकी भाषा और वाणी मायने रखते हैं
जहाँ राजा का वचन होता है, वहाँ सामर्थ होता है…(सभोपदेशक 8:4) एक मसीही के रूप में हम जो बोलते हैं, उसका महत्व है। हम इस दुनिया की भाषा नहीं बोलते। हमारे स्थान और समय की भाषा को हमें नहीं बनाने देना हैं, बल्कि हमें भाषा को बनाना हैं। हमें अपनी भाषा और वाणी को अपने […]
वचन शैतान को निष्कासित करता है और शरीर को काबू में करता है
यदि संसार तुम से बैर रखता है, तो तुम जानते हो, कि उस ने तुम से पहिले मुझ से भी बैर रखा। यदि तुम संसार के होते, तो संसार अपनों से प्रीति रखता, परन्तु इस कारण कि तुम संसार के नहीं, वरन मैं ने तुम्हें संसार में से चुन लिया है इसी लिये संसार तुम […]
परमेश्वर का वचन बोलता है
पर पहिले यह जान लो कि पवित्र शास्त्र की कोई भी भविष्यद्वाणी किसी के अपने ही विचारधारा के आधार पर पूर्ण नहीं होती। (2 पतरस 1:20) 2 तीमुथियुस 2:15 में, पॉल ने, तीमुथियुस से बात करते समय उसे मन लगाकर पवित्र शास्त्र का अध्ययन करने के लिए कहा और आगे उसने उससे कहा कि ऐसा […]
वचन के साथ संगति!
और उद्धार का टोप, और आत्मा की तलवार जो परमेश्वर का वचन है, ले लो। (इफिसियों 6:17) परमेश्वर का वचन एक व्यक्ति है। इसलिए एक मसीह के रूप में वचन के साथ आपकी संगति, आपके जीवन का एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहलू है। बाइबिल कहती है: “और वचन देहधारी हुआ; और अनुग्रह और सच्चाई से […]
शास्त्रवचन पढना: उस पर कार्य करना!
इन बातों को जिनकी आज्ञा मैं तुझे सुनाता हूं चित्त लगाकर सुन, कि जब तू वह काम करे जो तेरे परमेश्वर यहोवा की दृष्टि में भला और ठीक है, तब तेरा और तेरे बाद, तेरे वंश का भी सदा भला होता रहे। (व्यवस्थाविवरण 12:28) जब हम शास्त्रवचन का अध्ययन करते हैं, तो हम परमेश्वर के […]
शास्त्रवचन पढना: उस पर कार्य करना!
इन बातों को जिनकी आज्ञा मैं तुझे सुनाता हूं चित्त लगाकर सुन, कि जब तू वह काम करे जो तेरे परमेश्वर यहोवा की दृष्टि में भला और ठीक है, तब तेरा और तेरे बाद, तेरे वंश का भी सदा भला होता रहे। (व्यवस्थाविवरण 12:28) जब हम शास्त्रवचन का अध्ययन करते हैं, तो हम परमेश्वर के […]
शास्त्रवचन पढना: अंगीकार
तुम्हारा स्वभाव लोभ रहित हो, और जो तुम्हारे पास है, उसी में संतुष्ट रहो; क्योंकि उस ने आप ही कहा है, कि मैं तुझे कभी न छोडूंगा, और न कभी तुझे त्यागूंगा। इसलिये हम बेधड़क होकर कहते हैं, कि प्रभु, मेरा सहायक है; मैं न डरूंगा; मनुष्य मेरा क्या कर सकता है॥ (इब्रानियों 13:5-6) कई […]
शास्त्रवचन पढना: मनन
व्यवस्था की यह पुस्तक तेरे चित्त से कभी न उतरने पाए, उसी में दिन रात मनन करते रहना… क्योंकि ऐसा ही करने से तेरे सब काम सफल होंगे, और तू प्रभावशाली होगा (यहोशू 1:8)। जब हम शास्त्रवचन का अध्ययन करते हैं, तो यह महत्वपूर्ण है कि हम उस पर मनन भी करें। हर बार जब […]
शास्त्रवचन पढना: कब?
अपने आप को परमेश्वर का ग्रहणयोग्य और ऐसा काम करनेवाला ठहराने का प्रयत्न करो जो लज्जित होने न पाए, और जो सत्य के वचन को ठीक रीति से बांटता हो। (2 तीमुथियुस 2:15) कुछ लोगों का मानना है कि हर रात कुछ बाइबल आयतों को पढ़ लेना, शास्त्रवचन का अध्ययन करने का सबसे अच्छा समय […]
शास्त्रवचन पढना: कैसे?
अपने आप को परमेश्वर का ग्रहणयोग्य और ऐसा काम करनेवाला ठहराने का प्रयत्न करो जो लज्जित होने न पाए, और जो सत्य के वचन को ठीक रीति से बांटता हो। (2 तीमुथियुस 2:15) बहुत से मसीह लोग बाइबल को कई बार पढ़ने का दावा करते हैं। हालाँकि, उनके शास्त्रवचन का ज्ञान और उनके जीवन में […]