विश्वास का कार्य: धन्यवाद देना

इसलिये मैं तुम से कहता हूं, कि जो कुछ तुम प्रार्थना करके मांगते हो, तो प्रतीति कर लो कि तुम्हें मिल गया, और वह तुम्हारे लिये हो जाएगा। (मरकुस 11:24) जब हम किसी मामले या परिस्थिति पर अपना विश्वास लगाते हैं तो सबसे पहले हम प्रार्थना करते हैं।जैसे हम इसके लिए प्रार्थना करते हैं, हम […]

विश्वास का कार्य: निर्देशों का पालन करें

…हे यहूदा, और हे यरूशलेम के निवासियो, मेरी सुनो; अपने परमेश्वर यहोवा पर विश्वास रखो, तब तुम स्थिर रहोगे; उसके नबियों की प्रतीति करो, तब तुम समृद्ध होगे। (2 इतिहास 20:20) 2 राजा 5 में हम नामान के बारे में पढ़ते हैं, जो सीरिया के राजा की सेना का सेनापति था, वह एक महान व्यक्ति […]

विश्वास का कार्य: वचन को खोदें और खोजें

तेरी बातों के खुलने से प्रकाश होता है; और वह भोले लोगों को समझ प्रदान करता है। (भजन संहिता 119:130) हमने कल सीखा कि परमेश्वर के वचन का अंगीकार एक बहुत ही महत्वपूर्ण विश्वास का कार्य है। लेकिन, यह समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि वचन का अंगीकार करने के लिए, एक व्यक्ति को वचन को […]

विश्वास का कार्य: बोलना!

क्योंकि मैं तुम से सच कहता हूं, कि जो कोई इस पहाड़ से कहे, कि उखड़ जा, और समुद्र में जा पड़, और अपने मन में सन्देह न करे, वरन प्रतीति करे, कि जो मैं कहता हूं, वह हो जाएगा, तो जो कुछ वह कहता है, वह उसके लिये होगा। (मरकुस 11:23) हमारे विश्वास की […]

कार्य के बिना विश्वास मृत है

इसी प्रकार विश्वास भी, यदि उसके साथ कार्य न हो, तो मरा हुआ है। (याकूब 2:17 NIV) आपके विश्वास को सक्रिय और कार्यशील बनाने के लिए, उसके अनुरूप कार्य भी होना चाहिए। जो विश्वास कार्य नहीं करता वह मृत है, और इसलिए वह अप्रभावी है। जब आप किसी विशेष उद्देश्य, इच्छा या चमत्कार के लिए […]

विश्वास राज्य की मुद्रा है

अब और क्या कहूँ क्योंकि समय नहीं रहा, कि गिदोन का, और बाराक और शिमशोन का, और यिफतह का, और दाऊद का और शामुएल का, और भविष्यद्वक्ताओं का वर्णन करूं। इन्होंने विश्वास ही के द्वारा राज्य जीते; सत्यनिष्ठा के काम किए; प्रतिज्ञा की हुई वस्तुएं प्राप्त की, सिंहों के मुंह बन्द किए। (इब्रानियों 11:32-33) परमेश्वर […]

आशा और विश्वास के बीच अंतर

तीन चीज़ें हैं जो स्थाई हैं – विश्वास, आशा और प्रेम – और इनमें सबसे बड़ा है प्रेम। (1 कुरिन्थियों 13:13 TLB) हमारा मुख्य वर्स हमें मसीही जीवन के तीन महत्वपूर्ण सिद्धान्त दिखाता है: आशा, विश्वास और प्रेम। आज हम आशा और विश्वास पर ध्यान केन्द्रित करेंगे। कई बार लोग आशा और विश्वास के बीच […]

वचन के प्रति आपके विश्वास की प्रतिक्रिया

“…उसने यह इसलिये कहा है…कि हम भी हियाब के साथ कह सकें…” (इब्रानियों 13:5-6)। परमेश्वर के वचन में आपके भीतर उसके अंदर के संदेश उत्पन्न करने की शक्ति है। उसका वचन कभी खाली नहीं आता; आपको बस इतना करना है कि उसे विश्वास के साथ ग्रहण करें और उसके अनुसार प्रतिक्रिया दें। आपका विश्वास-प्रतिक्रिया वह […]

प्रबल विश्वास

यीशु ने उससे कहा, “यदि तू विश्वास कर सकता है, तो विश्वास करनेवाले के लिये सब कुछ हो सकता है।” (मरकुस 9:23) हमारे मुख्य वर्स में जो ग्रीक शब्द “विश्वास करने” की तरह अनुवादित है वह “pisteuonti” है, जिसका अर्थ है “किसी चीज़ को सत्य के रूप में स्वीकार करना या उसके बारे में पूरी […]

विश्वास हमेशा काम करता है

अब विश्वास आशा की हुई वस्‍तुओं का निश्चय, और अनदेखी वस्‍तुओं का प्रमाण है। (इब्रानियों 11:1) विश्वास अदृश्य वास्तविकताओं का स्वामित्व-पत्र है। विश्वास वह शक्ति है जो चीजों को घटित कराता है। विश्वास हमेशा काम करता है, अगर यह काम नहीं किया तो यह कभी विश्वास नहीं था। कई बार लोग अपनी आशा, धारणा और […]