विश्वास कभी संदेह नहीं करता
मैं तुम से सच कहता हूं कि जो कोई इस पहाड़ से कहे; कि तू उखड़ जा, और समुद्र में जा पड़, और अपने मन में संदेह न करे, वरन प्रतीति करे, कि जो कहता हूं वह हो जाएगा, तो उसके लिये वही होगा। इसलिये मैं तुम से कहता हूं, कि जो कुछ तुम प्रार्थना […]
डर की नहीं विश्वास की बातें बोलें
और हम भी वही विश्वास की आत्मा रखते हैं, जैसा लिखा है, कि मैं ने विश्वास किया, इसलिये बोला; सो हम भी विश्वास करते हैं, इसलिये बोलते हैं। (2 कुरिन्थियों 4:13) कई मसीहों को डर के बारे में बात करने की आदत होती है। कुछ लोगों को विश्वास और डर दोनों की बात एक साथ […]
विश्वास में कोई डर नहीं है
किसी भी बात को लेकर परेशान या चिंतित न हों, लेकिन हर परिस्थिति और हर चीज़ में, प्रार्थना और बिनती (निश्चित अनुरोध) द्वारा, धन्यवाद के साथ अपनी इच्छाएँ परमेश्वर को बताते रहो। (फिलिप्पियों 4:6 AMPC) क्या आप जानते हैं की डर क्या है? भय वास्तव में आपके विरोधी की आपको चोट पहुंचाने की क्षमता पर […]
विश्वास का अर्थ है परमेश्वर को “हाँ” कहना!
विश्वास ही से अब्राहम जब बुलाया गया तो आज्ञा मानकर ऐसी जगह निकल गया जिसे मीरास में लेने वाला था; और यह न जानता था, कि मैं किधर जाता हूँ, परन्तु निकल गया (इब्रानियों 11:8)। हमारे मुख्य वर्स में हम देखते हैं कि कैसे अब्राहम ने परमेश्वर की आज्ञा को “हाँ” कहा, भले ही वह […]
विश्वास का जीवन प्रेम के द्वारा जिया जाता है
क्योंकि [यदि हम] मसीह यीशु में हैं, तो न तो खतना और न ही खतनारहित कुछ मायने रखता है, बल्कि केवल विश्वास सक्रिय और सक्रिय और व्यक्त किया जाता है और प्रेम के माध्यम से काम करता है। (गलातियों 5:6) मसीह में हमें विश्वास के जीवन में बुलाया गया है, और यह विश्वास प्रेम के […]
विश्वास परमेश्वर के वचन पर आधारित होता है!
सो विश्वास सुनने से, और सुनना परमेश्वर के वचन से होता है। (रोमियो 10:17) बहुत से मसीह यह मानते हैं कि हर वो चीज़ जो सुनने में अच्छी, लुभावनी और सकारात्मक लगती है, वह परमेश्वर से होती है। पर यह बिलकुल ज़रूरी नही है।यही वह गलत सोच है जो लोगों को बेमतलब के संघर्ष में […]
आपका विश्वास
…यदि तुम्हारा विश्वास राई के दाने के बराबर भी हो, तो इस पहाड़ से कह सकोगे कि यहां से हटकर वहां चला जा, तो वह चला जाएगा; और कोई बात तुम्हारे लिये अनहोनी न होगी। (मत्ती 17:20) आप अपने जीवन में जो कुछ भी अनुभव करते हैं उसके लिए परमेश्वर जिम्मेदार नहीं है, आप स्वयं […]
अनुशासन के लाभ
…दुसरे हाथ पर, खुद को अनुशासित करो इश्वरियता के उद्देश्य से (1 तीमुथियुस 4:7 एन ऐ एस बी ) अनुशासन आपको बड़ी उपलब्धियाँ बहुत कम प्रयासों में हासिल करने में मदत करता है। अनुशासन का मतलब है खुद को बांधना और विवश करना निर्धारित सिद्धांतों और तरीकों पर चलने के लिए और हर एक इच्छा […]
परमेश्वर आपके साथ व्यक्तिगत है!
क्या दो पैसे की पांच गौरैयां नहीं बिकतीं? तौभी परमेश्वर उन में से एक को भी नहीं भूलता। वरन तुम्हारे सिर के सब बाल भी गिने हुए हैं, सो डरो नहीं, तुम बहुत गौरैयों से बढ़कर हो। (लूका 12:6-7) कुछ लोग सोचते हैं कि परमेश्वर संख्याओं से काम करता है। वे सोचते हैं कि यदि […]
गुस्सा मदद नहीं करता
जो विलम्ब से क्रोध करता है, वह वीरता से उत्तम है; और जो अपने मन को वश में रखता है, वह नगर जीतने वाले से उत्तम है। (नीतिवचन 16:32) परमेश्वर इतना कृपालु और अनुग्रही है कि मसीह यीशु में उसने हमें इस संसार से निकाल लिया और एक उच्चतर जीवन में ले आया। उसने हमें […]